कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट ; गैर भाजपा दलों के बीच एकता की हो रही पहल से भाजपा में हताश और बेचैनी काफी बढ़ गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की आज पं. बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हुई मुलाकात से भाजपा काफी परेशान हो गई है जिसकी झलक उनके नेताओं के बयानों में दिखाई पड़ रहा है। अभी स्थिति यह हो गई है कि भाजपा के अन्दर आयातित और पुराने नेताओं के बीच बयानबाजी का कम्पिटीशन शुरू हो गया है कि शीर्ष नेतृत्व को खुश करने के लिए कौन कितना झूठ और अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर सकता है
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जिस प्रकार खोखले वादे द्वारा केन्द्र की भाजपा सरकार पिछले 9 वर्षों से देश की जनता को ठगती रही है, वह अब जनता के बीच जाने की स्थिति में नहीं है इसलिए राज्य सरकार द्वारा किए गए कामों का श्रेय लेने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा अब गलत बयानी का सहारा लिया जा रहा है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय का दावा कि ” बिहार में सारे विकास कार्य केन्द्र के पैसे से हो रहा है ” काफी दुर्भाग्यपूर्ण और देश के संघीय व्यवस्था के खिलाफ है। केन्द्र की सरकार राज्यों को जो पैसा दे रही है वह कोई कृपा नहीं कर रही है। जीएसटी लागू होने के बाद विभिन्न स्त्रोतों से राज्य को होने वाली आय अब सीधे केन्द्र को चली जाती है और केन्द्र के माध्यम से वह राज्यों को मिलता है।राजद प्रवक्ता ने कहा कि सही मायने में तो केन्द्र की सरकार बिहार के साथ नाइंसाफी कर रही है और बिहार को वास्तविक रूप में जितनी राशि मिलनी चाहिए वह नहीं दे रही है। पर भाजपा के नेता ऐसा बयान देते हैं जैसे बिहार को वे खैरात दे रहे हैं या भाजपा के फंड से बिहार को पैसा दिया जा रहा है।