पटना, ४ मई। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में ६-७ मई को पुनः एक बार देश भर के साहित्यकारों का महाकुंभ लग रहा है। अवसर है, सम्मेलन के ४२वें महाधिवेशन का। दो दिवसीय यह महाधिवेशन, भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संस्थापकों में से एक देश-रत्न डा राजेंद्र प्रसाद के पुण्य-स्मृति-दिवस की षष्टि-पूर्ति को समर्पित है।सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अवगत कराया है कि महाधिवेशन की सारी तैयारियाँ पूरी हो गई हैं और वैचारिक-सत्रों के भी अतिथियों और वक्ताओं की सूची बन गई है। समारोह का उद्घाटन ६ मई को पूर्वाह्न ११ बजे, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर करेंगे, जबकि समापन-सह-सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि होंगे, बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चैधरी। साहित्य सम्मेलन प्रयाग के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, केंद्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष डा अनिल शर्मा जोशी, ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी, काशी-वाराणसी विरासत फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो राम मोहन पाठक, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष डा विजय प्रकाश, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के पूर्व निदेशक डा हेमराज मीणा, कोलकाता से डा कुँवर वीर सिंह ‘मार्तण्ड’, नेपाल से डा कंचना झा समेत अनेक विदुषी और विद्वान विभिन्न सत्रों में अपने व्याख्यानों से महाधिवेशन के तीन सौ प्रतिभागियों को लाभान्वित करेंगे।डा सुलभ ने बताया है कि महाधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष डा रवींद्र किशोर सिन्हा स्वागताध्यक्ष के रूप में दोनों ही दिन उद्घाटन और सामापन समारोह के अतिथियों का स्वागत करेंगे। समापन समारोह में विधान सभा के अध्यक्ष के अतिरिक्त पूर्व केंद्रीयमंत्री डा सी पी ठाकुर, न्यायमूर्ति संजय कुमार, न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद तथा पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री डा संजय पासवान भी अपनी उपस्थिति से समारोह को गरिमा प्रदान करेंगे।उद्घाटन-सत्र के पश्चात ६ मई को दो वैचारिक सत्र आयोजित होंगे, जिनके विषय क्रमशः ‘देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद : उनकी हिन्दी-सेवा और ग्रामीण-चेतना’ तथा ‘हिन्दी साहित्य में कृषक विमर्श’ भी संपांन होगी। रखे गए हैं। इसी दिन भोजनावकाश के पश्चात साढ़े तीन बजे से सम्मेलन की स्थायी समिति की बैठक भी आयोईट होगी। संध्या ६ बजे से सांस्कृतिक-उत्सव का आयोजन होगा, जिसमें डा शंकर प्रसाद द्वारा ‘सरगम की एक शाम’ तथा दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम-प्रमुख डा राज कुमार नाहर और उनके सहयोगियों द्वारा गायन की प्रस्तुति होगी। इसके पश्चात कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में नृत्य-नाटिका ‘आनंद-भैरवी’ की प्रस्तुति का आनंद सुधी श्रोता ले सकेंगे। ७ मई को भी दो वैचारिक-सत्र आहूत होंगे, जिनके विषय क्रमशः ‘एक राष्ट्र, एक राष्ट्र-भाषा और एक राष्ट्र-लिपि’ तथा ‘ भारत की वैश्विक दृष्टीवन वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा’ निर्धारित हैं। वैचारिक सत्रों के पश्चात ‘विराट कवि-सम्मेलन का आयोजन होगा। सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’ की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि-सम्मेलन का उद्घाटन, हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष कवि सत्य नारायण करेंगे। ३० से अधिक लोकप्रिय कवियों का काव्यपाठ होगा।समापन समारोह में हिन्दी की मूल्यवान सेवाओं के लिए, बिहार की ख्यातिनाम साहित्यिक विभूतियों के नाम से नामित अलंकरणों से विदुषियों और विद्वानों का सम्मान किया जाएगा।