कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी ने विधायक श्री भरत बिन्द, पूर्व विधायक श्रीमती समता देवी तथा प्रदेश राजद प्रवक्ता एजाज अहमद के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि भाजपा के चाल, चरित्र जातिगत गणना के मामले में पटना उच्च न्यायालय के अन्तरिम आदेश के बाद भाजपा का चेहरा उजागर हो गया। और जिस तरह से भाजपा नेताओं ने इस अन्तरिम आदेश के बाद भाजपा कार्यालय में मिठाईयां बांटी और खुशियां मनाई ये बहुजन हित में लिये गये फैसले तथा सभी दलों के सर्वसम्मति फैसलों के बाद जिस तरह से भाजपा ने खुशियां मनाई क्या इसे बहुजन समाज का अपमान नहीं माना जाये, क्योंकि दलित, बहुजन विरोधी गोलवलकर गैंग बहुजन आबादी के सच को सामने नहीं आना देना चाहती है और सच्चाई आने से डरती है।
श्री उदय नारायण चौधरी ने आगे कहा कि 1931 की जातिगत जनगणना के आधार पर हीं मंडल कमीशन का रिपोर्ट लागू किया गया था और इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी, स्व0 मुलायम सिंह यादव जी, स्व0 शरद यादव जी, स्व0 रामविलास पासवान जी ने सकारात्मक पहल की मांग करते हुए जातिगत जनगणना की मांग की थी। इस संबंध में मंडल कमीशन के दस्तावेज में भी इस बात का जिक्र था कि 1931 के आंकड़े से आगे बढ़ते हुए समकालीन आंकड़ों की आवश्यकता है और समय-समय पर समाजवादी विचारधारा के साथियों के साथ राष्ट्रीय जनता दल ने भी जनगणना में जातिगत जनगणना की मांग की थी। इतिहास गवाह है कि जब-जब सामाजिक न्याय की धारा अपने सरोकारों की बात करती है तो भाजपा अपने बहुजन विरोधी तेवर के साथ किसी न किसी रूप में रूकावट डालने का कवायद करती है। जब मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की गई तो कमंडल के सहारे बहुजन सरोकार को रोकने की कोशिश की गई।
इन्होंने आगे कहा कि 1996 में देवगौड़ा जी के प्रधानमंत्री रहते हुए शीर्ष नेताओं की पहल पर केन्द्र सरकार ने यह सुझाव मान लिया था कि 2001 के जनगणना में जातिगत जनगणना भी होगा, लेकिन सन् 2000 में स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री बन जाने के पश्चात भाजपा ने बहुजन दलित विरोधी चरित्र के कारण इस मांग को खारिज कर दिया। जब वर्ष 2010 में यूपीए-2 की सरकार में लालू जी, स्व0 मुलायम सिंह जी, स्व0 शरद जी के सार्थक पहल और प्रयास के बाद जाति आधारित गणना की मांग स्वीकार करते हुए इसे स्वीकार कर इस पर कार्य किया गया और आंकड़े भी आ गये लेकिन तभी भाजपा ने 2014 में नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनते हीं इन आंकड़ों को गायब कर दिया और सवाल पूछे जाने पर सदन में केन्द्र सरकार ने यह जवाब दिया कि आंकड़े करप्ट हो गये हैं जबकि सच तो यह है कि आंकड़े करप्ट नहीं हुए बल्कि दलित, बहुजन विरोधी नीतियों के कारण केन्द्र सरकार ने सच को सामने नहीं आने दिया। भाजपा को यह जवाब देना चाहिए कि 80 प्रतिशत आबादी के लिए बनाये जा रहे आंकड़े तथा उनको विकास की गति में जोड़ने के लिए योजना तथा अन्य तरह की व्यवस्थाओं में शामिल होने पर जो इन वर्गों को फायदा होता उसे रोकने के लिए भाजपा इस तरह का कुत्सित प्रयास क्यों कर रही है? भाजपा के इस दोहरे रवैये और उनके द्वारा माननीय न्यायालय के अन्तरिम आदेश के बाद मिठाईयां बांटने से स्पष्ट होता है कि भाजपा कभी भी बहुजन समाज की हितैषी नहीं रही है और भाजपा अड़ंगा लगाने का काम करती है जबकि महागठबंधन सरकार बहुजन समाज के हित में आंकड़े इकट्ठा करके इनके साथ न्याय और सम्मान देने का जो सार्थक पहल किया था उसमें रूकावट डालने की भाजपा ने साजिश की है जो समय आने पर स्पष्ट हो जायेगा।इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश महासचिव मदन शर्मा एवं प्रमोद कुमार राम भी उपस्थित थे।