बिल्डरों की मनमानी पर सरकार नया कानून लायेगी, ताकि मकान खरीदने वालों के साथ धोखाधड़ी न हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार नया उपभोक्ता संरक्षण कानून लायेगी जो सर्वोत्तम होगा। इससे उपभोक्ताओं के हितों के साथ गड़बड़ी नहीं की जा सकेगी। प्रधानमंत्री मोदी वृहस्पतिवार को यहां उपभोक्ता संरक्षण पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कहा कि नये कानून में भ्रामक विज्ञापनों पर सरकार सख्त रुख अपनाएगी। इसमें उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा समयबद्ध तरीके से किये जाने का प्रावधान होगा।
दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें वैदिक ग्रंथों का हवाला देते हुए बताया ‘हमारे यहां ग्राहक देवो भव: होता है। गुणवत्ता व नापतोल में गड़बड़ी न करने के बारे में अथर्ववेद में विस्तार से जिक्र है।’ मोदी ने कहा ‘नये भारत में सर्वोत्तम उपभोक्ता संरक्षण कानून होगा।’ इसमें बिल्डरों पर अंकुश रखने के प्रावधान होंगे, जिससे ग्राहकों के साथ गड़बड़ी न हो सके।
रजिस्टर्ड बिल्डर भी तभी बुकिंग कर सकेगा, जब उसके पास नये प्रोजेक्ट से जुड़े सारे दस्तावेजों को मंजूरी प्राप्त होगी। बुकिंग राशि भी मात्र 10 फीसद ही लेना होगा। बुकिंग की धनराशि का कहीं और उपयोग नहीं किया जा सकता है। प्रोजेक्ट की 70 फीसद धनराशि उसी में खर्च करनी होगी। भ्रामक विज्ञापनों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसके खिलाफ कड़े प्रावधान किये जा रहे हैं। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा निर्धारित समय पर होना सुनिश्चित किया जाएगा।
देश में लागू वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक नई कारोबारी संस्कृति ढालने वाली व्यवस्था है। इससे कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे उत्पादों की कीमतें घटेंगी। उपभोक्ताओं को मिलने वाली रसीद में टैक्स का ब्यौरा दिखाई देगा। उपभोक्ताओं के हितों के साथ खिलवाड़ करना आसान नहीं होगा। उपभोक्ता हितों को संरक्षित करने में डिजीटल टेक्नोलाजी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का हर घर डिजीटल हुआ है। हर परिवार के पास अपना बैंक खाता हुआ है। एलईडी बल्ब के जरिये 20 हजार करोड़ रुपये की बिजली की बचत हुई है। 350 रुपये का यह बल्ब 45 रुपये में मिलने लगा है।
ई-कारोबार का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इससे एक दूसरे देश के बीच कारोबार शुरु हुआ है। लेकिन इससे नई तरह की चुनौतियां भी सामने आई हैं, जिससे उपभोक्ताओं के हित संरक्षण के लिए हर देश में मजबूत नियामक प्रणाली के गठन की जरूरत है।