शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाकाल शिवलिंग का अभिषेक RO के जल से किया जाएगा। चढ़ावे से शिवलिंग का आकार छोटा (क्षरण) होने को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट के आदेश से बनी एक्सपर्ट्स की कमेटी ज्योतिर्लिंग की जांच कर चुकी है। कमेटी ने पंचामृत की क्वांटिटी तय करने की सिफारिश की थी।
पूजा के नए नियमों को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिली
– न्यूज एजेंसी के अनुसार, उज्जैनी विद्वत परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भांग श्रृंगार और पंचामृत के बहुत ज्यादा प्रयोग के चलते शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। इसके बाद SC ने पूजा के लिए बनाए गए नए नियमों को मंजूरी दे दी।
7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता
– देश में 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग पर श्रद्धालु दूध-पंचामृत से अभिषेक नहीं कर सकता। इनमें ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, मल्लिकार्जुन, केदारनाथ और सोमनाथ शामिल हैं। यहां एक तय क्वांटिटी में पुजारी ही अभिषेक कर सकता है। बाकी 5 में से 3 ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम और नागेश्वर में रोक तो नहीं है, लेकिन क्षरण न हो इसके लिए सावधानी भी बरती जा रही है।
महाकाल में भांग से किया जाता है श्रृंगार, भस्म से होती है आरती
– उज्जैन के ज्योतिर्लिंग के क्षरण की बात पहले भी सामने आती रही है, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट में पहली बार इस बात की पुष्टि हुई है कि नुकसान हो रहा है।
महाकाल की ऐसे होती है पूजा
– पुजारी प्रदीप गुरु के मुताबिक, सुबह पंचामृत से अभिषेक होता है। फिर जलाभिषेक और भस्म आरती। रात तक 4 बार अभिषेक होता है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। भांग से श्रृंगार होता है।