कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट पटना से ; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बालासोर रेल हादसे की वजह सरकार के स्तर पर बरती गई लापरवाही का परिणाम बताते हुए रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग की है। इसके पूर्व भी स्व लालबहादुर शास्त्री, स्व माधव राव सिंधिया के साथ हीं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी का उदाहरण है कि उनके रेल मंत्रित्वकाल में हुए रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।राजद प्रवक्ता ने कहा कि उड़ीसा के बालासोर में हुए सदी के सबसे भयावह रेल दुर्घटना के सम्बन्ध में अबतक जो बातें सामने आई है उससे यह स्पष्ट होता है कि इस त्रासदी के लिए सबसे बड़ा कारण सरकार की लापरवाही रही है। पिछले कई वर्षों से रेलवे ट्रैक के रख-रखाव में बड़े पैमाने पर कमी की गई है। संसद में रखे गए सीएजी के रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 2017 से 2021 के बीच चार सालों में सबसे अधिक रेल दुर्घटना की वजह ट्रैक के रख-रखाव में कमी की वजह से हुई है। सीएजी के रिपोर्ट के अनुसार इन चार वर्षों में हुए 2017 रेल दुर्घटनाओं में 1392 रेल दुर्घटना का कारण रेलवे ट्रैक का रख-रखाव रहा है। इसके बावजूद भी सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया।राज प्रवक्ता ने कहा कि रेलवे सुरक्षा को प्रमुखता देते हुए पूर्व की सरकार द्वारा टीसीएएस (Train collision avoidance system) लागू किया गया था। जिसे केन्द्र की भाजपा सरकार ने नाम बदलकर ” रक्षा कवच ” कर दिया गया। पर इस मद में समुचित राशि की व्यवस्था नहीं कि गई और अबतक मात्र 22 करोड़ रुपए खर्च कर 68000 किलोमीटर रेलवे लाइन में केवल 1450 किलोमीटर रेलवे लाइन में हीं यह व्यवस्था उपलब्ध हो पायी है । यानी कुल रेलवे लाइन का मात्र 2.13 प्रतिशत में हीं अबतक”सुरक्षा कवच ” की व्यवस्था हो पायी है।राजद प्रवक्ता ने कहा कि यदि ‘सिग्नल सिस्टम’ की गड़बड़ी से दुर्घटना हुई है तो इसके लिए भी सरकार जिम्मेदार है। क्यों कि रेलवे के बड़े अधिकारियों द्वारा काफी पहले सरकार को आगाह कर दिया गया था कि फंड की कमी की वजह से ‘सिग्नल सिस्टम ‘ का सही ढंग से रख-रखाव नहीं हो रहा है।राजद प्रवक्ता ने कहा कि इसके साथ हीं रेल दुर्घटनाओं के लिए दो अन्य महत्वपूर्ण कारण है जिसके लिए पूर्णतया केन्द्र की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। पहली तो रेलवे में कर्मचारियों की भारी कमी है। पूर्व से स्वीकृत पदों में बड़े पैमाने पर कटौती कर नई बहाली पर लगभग रोक लगा दी गई है। दूसरा कारण रेलवे के स्वतंत्र बजट को बंद कर रेलवे के स्वतंत्र अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया है। जिससे रेलवे बजट के माध्यम से संसद में उस पर अलग से होने वाली चर्चा अब बंद हो गई है।