कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट ; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार के लापरवाही के कारण हुए बालासोर रेल हादसे में एक ओर जहां सैंकड़ों लोग हताहत हुए वहीं दूसरी ओर राहत कार्यों में भारी लापरवाही की वजह से कई जिन्दा लोगों को भी मुर्दा घर में फेंक दिया गया।राजद प्रवक्ता ने कहा कि रेल हादसे के बाद भी सरकार यदि संवेदनशील और गंभीर रहती तो बहुतों की जान बचाई जा सकती थी। दुर्घटना के बाद भी लोगों के जान बचाने से ज्यादा प्रधानमंत्री,रेल मंत्री और अन्य केन्द्रीय मंत्रियों का दुर्घटना स्थल के दौरे को इवेंट के रूप में प्रचारित करने को ज्यादा प्रमुखता दी गई । यह तो संयोग माना जाएगा कि वहानागा हाई स्कूल ( बालासोर) में बनाए गए अस्थाई मुर्दा घर में मृत समझ कर फेंक दिए गए विश्वास मलिक ( उम्र 24 वर्ष, कलकत्ता ) और रॉबिन नैया ( उम्र 35 वर्ष, चर्नेखली, उत्तर 24 परगना,पं.बंगाल ) समय रहते जीवित निकाल लिए गए। अन्यथा व्यवस्था ने तो उन्हें मृत समझ कर मुर्दा घर में फेंक हीं दिया था। व्यवस्था की लापरवाही से रॉबिन और विश्वास जैसे न जाने कितने जिंदा लोगों को मृत समझ कर मुर्दा घर में फेंक दिया गया होगा जो अन्ततः मुर्दा के ढेर में मुर्दा हीं बन गए होंगे।राजद प्रवक्ता ने कहा कि मुर्दा घर से जीवित निकले विश्वास मलिक के पिता हेलाराम जो हादसे की खबर सुनकर 230 किलोमीटर से आकर मुर्दा घर में अपने बेटे को तलाशने की जिद नहीं करते और रॉबिन यदि रेस्क्यू वर्कर का पैर नहीं पकड़ता तो उन्हें जीवित बचने का कोई सवाल हीं नहीं था।राजद प्रवक्ता ने भाजपा नेताओं से पुछा है कि आखिर इस गंभीर अपराध के लिए कौन जिम्मेदार है ? प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और अन्य केन्द्रीय मंत्री वहां जाकर कर क्या रहे थे ? क्या केवल फोटो सूट करवाने गए थे ? काफी जोर-शोर से प्रचार किया गया कि आरएसएस के लोग वहां सेवा कार्य में लगे हुए हैं तो क्या आरएसएस वालों ने जिंदा लोगों को मुर्दा घरों में फेंकने के लिए वहां गए थे ? यदि भाजपा नेताओं में थोड़ी भी नैतिकता और संवेदना है तो उन्हें इन सवालों का जवाब देना चाहिए अन्यथा अपनी नाकामी और लापरवाही पर सार्वजनिक रूप से देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।