जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 24 जून ::बिहार के बक्सर जिले में स्थित, बहुत प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक जगह है ब्रह्मपुर। ब्रह्मपुर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुर मुख्य रूप से भगवान शिव के मंदिर की पौराणिक कथा और सावन महीने में पशु मेले के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो बिहार में एक से एक चमत्कारी मंदिर है। ब्रह्मपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कर ब्रह्माजी ने शिवलिंग को स्थापित किया था, इसलिए यहां के शिव लिंग को बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है और इस जगह का नाम ब्रह्मपुर पड़ा। इसलिए ब्रह्मपुर चर्चित स्थल में भगवान शंकर के प्रधान तीर्थों में माना जाता है।ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है, कि इस मंदिर का मुख्य द्वार (दरवाजा) पश्चिम मुखी है, जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूर्व मुखी (दिशा) में है।इसलिए देश के प्राचीनतम मंदिरों में से यह मंदिर एक है। यह मंदिर अब ब्रह्मपुर धाम से चर्चित है।शिव महापुराण की रुद्र संहिता में ब्रह्मपुर में स्थित महादेव को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाले मंदिर कहा गया हैं। इस मंदिर को लोग मनोकामना महादेव मंदिर भी कहते है। यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग-84 पर पटना-बक्सर मार्ग से एक किलोमीटर की दूरी पर रघुनाथपुर- ब्रह्मपुर मार्ग पर अवस्थित है। यह मंदिर मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित है। हालाँकि मंदिर में और अन्य देवी देवताओं की भी पूजा होती है।ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है, मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम मुखी होना। इस संबंध में यह कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रांता मोहम्मद गजनी ने ब्रह्मेश्वरनाथ का चमत्कार देखा था और ब्रह्मेश्वर नाथ का चमत्कार देख कर उल्टे पांव लौटा था मोहम्मद गजनी। कहा जाता है कि मुस्लिम अक्रांता मोहम्मद गजनी ने एक समय, इस मंदिर पर हमला बोला था, तो उस समय यहां के लोगों ने गजनी से शिव मंदिर को नहीं तोड़ेने का अनुरोध किया था। लोगों के अनुरोध पर मोहम्मद गजनी ने लोगों से कहा कि भगवान कुछ नहीं होता है। उसने भगवान में आस्था रखने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप लोगों का भगवान होता है तो इस मंदिर का जो मुख्य प्रवेश द्वार पुरब दिशा में है, वह रात भर में पश्चिम की ओर हो जाए। अगर ऐसा हो जायेगा, तो वह मंदिर को छोड़ देगा और कभी इसके पास नहीं आएगा।भगवान ब्रह्मेश्वर नाथ ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि अगले दिन जब गजनी मंदिर का विध्वंस (विनाश) करने के लिए आया तो वह यह देख कर दंग रह गया, कि जिस मंदिर का द्वार कल पूरब देखा था वह मंदिर का प्रवेश द्वार आज पश्चिम की तरफ हो गया है। इसके बाद वह बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ के चमत्कार से भयभीत होकर और अपने वादा के अनुसार मंदिर को क्षति पहुंचाए बगैर वहां से वापस लौट गया।ब्रह्मेश्वर धाम मंदिर में सावन महीने में और हर महीने की शिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। ब्रह्मेश्वर धाम मंदिर में प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा और यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
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