पटना, २५ जून। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन अगले वर्ष से, विदुषी प्राध्यापिका और कवयित्री डा आरती राजहँस के नाम से स्मृति-सम्मान दिया करेगा। यह सम्मान अध्यापन और काव्य-सृजन में समान रूप से योगदान देने वाली प्रतिभाशाली विदुषी कवयित्रियों को प्रदान किया जाएगा।सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने रविवार को, हनुमान नगर स्थित एम आइ जी-२४४ में आयोजित, श्रीमती राजहँस के श्राद्धोत्सव में अपनी ओर से श्रद्धा-तर्पण देते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि आरती जी भाव-संपदा से संपन्न एक समर्थ कवयित्री थीं। किन्तु उनकी प्रतिभा उनके जीवन काल तक, उनके स्मृति-शेष पति और वयंग्य के लोकप्रिय कवि पद्मश्री डा रवींद्र राजहँस जी के बरगदी व्यक्तित्व की छांव में अंतर में ही प्रच्छन्न रह गयी। पति के वियोग में वही प्रच्छन्न प्रतिभा प्रस्फुटित हुई और ‘कही अनकही बातें’ के रूप में प्रकाश में आयी है। दुःख की बात है कि वे पुस्तक की प्रथम प्रति का दर्शन कर संसार छोड़ गयीं। वो यह सुनने के लिए जीवित नहीं रहीं कि पाठकों और समालोचकों ने उनकी प्रथम और एक मात्र संतान को किस रूप में देखा है! उनसे हमें बहुत ही अपेक्षाएँ थी, किंतु विधाता ने कुछ और योजना बना रखी थी !आर्य समाज पद्धति से संपन्न हुए इस श्राद्धोत्सव में बड़ी संख्या में साहित्यकार, प्राध्यापक, प्रबुद्धजन एवं उनके परिजन अपनी भावांजलि देने हेतु उपस्थित थे। इनमे बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, अपर पुलिस महानिदेशक जी एस गंगवार, वरिष्ठ पुलिस अधकारी जितेंद्र कुमार, सुधीर कुमार राकेश, प्रो किरण घई, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, प्रो साधना ठाकुर, डा आशा त्रिपाठी, डा धर्मशिला सिंह, कुमार अनुपम, डा अर्चना त्रिपाठी, आराधना प्रसाद, कांग्रेस नेता अनिल शर्मा, अभिजीत कश्यप, राकेश कुमार सिन्हा तथा श्रीमती राजहँस के प्रथम पुत्र और नागालैंड सरकार में मुख्यसचिव ज्योति कलश, द्वितीय पुत्र और राजस्थान सरकार में पुलिस महानिदेशक अमृत कलश, पुत्री रिमझिम वर्षा, पुत्रवधुएँ प्रमिला कलश, मनीषा कलश, अपराजिता, नूपुर सहाय, राजीव सहाय, उर्मिला रघुवीर नारायण, कोमल पंखुरी,कनुप्रिया, शुभ्रा, काव्या सम्मिलित थे।