कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /बिहार प्रदेश राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने सुशील मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बिहार में राजद के कारण ही भाजपा सत्ता से बेदखल हुई है और आज भाजपा को बिहार में तिनके -तिनके का सहारा लेकर के अपना आशियाना तैयार करना पड़ रहा है, क्योंकि भाजपा के जनाधार की पोल सत्ता से बाहर होते ही खुल गई है। इसका एहसास शायद सुशील मोदी को नहीं अन्यथा वह ऐसी भाषा के इस्तेमाल नहीं करते।एजाज ने आगे कहा कि बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद नफरत के खिलाफ मोहब्बत की राजनीति को जो बिहार से आगाज मिला और ये अब कर्नाटक होते हुए देश स्तर पर विपक्षी दलों को मजबूत करने के संकल्प के साथ आकार और आधार देने के लिए आगे बढ़ रहा है ,जो 23 जून की पटना मे बैठक से दिखा।इन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल ने हमेशा नफरत के खिलाफ मुहब्बत की राजनीति को मजबूती प्रदान की और सांप्रदायिक शक्तियों को चुनौती दी है, इसी मुहिम के तहत 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार जी के साथ मिलकर भाजपा को बिहार की सत्ता से बेदखल किया गया और आने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार से निकली एकता के स्वर से भाजपा को केन्द्र की सता से बेदखल किया जायेगा।इन्होंने ने आगे कहा कि सुशील मोदी और भारतीय जनता पार्टी को यह बताना चाहिए कि एनडीए के कुनबे से शिवसेना,जनता दल यू, अकाली दल, बीजू जनता दल, टीडीपी सहित अन्य दल क्यों अलग हो गये। आज बिहार में भारतीय जनता पार्टी जिनको अपने साथ जोड़ रही है उसके बारे में यह स्पष्ट करें कि व्यक्ति को जोड़ने से भी भाजपा का बिहार में उधार क्यो नहीं हो पा रहा है। केंद्र सरकार के मंत्री लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं उसके बावजूद भी उन्हें बिहार की जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है ,क्योंकि बिहार और देश की जनता इनके जुमलाबाजी को जान और पहचान चुकी है। 303 सीटों का गुमान करने वाली भाजपा ये भी स्पष्ट करे कि 23 जून को बैठक के बाद उनके खेमे में बौखलाहट और बेचैनी क्यों है । और उन्हें जब इतना ही अपने आप पर भरोसा और गुमान है तो तिनके- तिनके को जोड़ने का अभियान क्यों चला रही है । वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी अभी-अभी केंद्र के स्तर पर 22 दलों को जोड़ करके सत्ता में भागीदार बनी हुई है। सुशील मोदी को इस बात का एहसास हो चुका है कि पटना में 23 जून को जो बैठक हुई है उसके बाद से भाजपा का सिराजा बिखरने वाला है और भाजपा दोबारा सत्ता में नहीं आने वाली है। जिस कारण बेचैनी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर अमित शाह और सुशील मोदी तक लगातार विपक्षी दलों के एका की बैठक पर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। लेकिन इनके प्रलाप से देश की जनता का भला नहीं होने वाला है, क्योंकि देश की जनता भी जान चुकी है कि भाजपा के साथ रहने का मतलब है हम दो हमारे दो की नीतियों को मजबूती प्रदान करना , अघोषित आपातकाल की स्थिति को बढ़ावा देना, महंगाई ,महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं को भाजपा के द्वारा संरक्षण मिलना, गरीबों के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं होना, बेरोजगारी बढना, शिक्षा और चिकित्सा महंगा होना ,दलित, शोषित, पीड़ित और वंचितों को अधिकार से बेदखल करना यही भाजपा सरकार की नीतियां रही है,जो देश की जनता को स्वीकार्य नहीं है।