साकेत (दिल्ली), 13 जुलाई। माँ मनोकामना की 9पींडियों में माँ वैष्णो देवी ही अपनी पूरी प्रभा के साथ प्रतिष्ठित हैं। इस विश्वास के साथ पूजन-अर्चन करें, तो निश्चित ही माता सभी भौतिक कामनाओं की भी पूर्ति करेंगी। किंतु एक साधक को भौतिक-कामनाओं से ऊपर उठकर, आत्मोत्थान के लिए इस्सयोग की आंतरिक-साधना को दृढ़ता से पकड़नी चाहिए। आध्यात्मिक उन्नति के लिए सद्ग़ुरुदेव महात्मा सुशील के बताए मार्ग पर श्रद्धा और विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए, जिन्होंने ‘इस्सयोग’ के रूप में संसार को आध्यात्मिक ऊन्नति का अत्यंत सरल किंतु अत्यंत प्रभावशाली मार्ग प्रदान किया।
यह बातें गुरुवार को पर्यावरण कंपलेक्स स्थित माँ मनोकामना मंदिर में, अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, माँ मनोकामना की नौ-पींडियों की प्राण-प्रतिष्ठा की वर्षगाँठ और संस्था के संस्थापक ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील कुमार के अवतरण दिवस समारोह में, अपना आशीर्वचन देती हुईं, संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्मनिष्ठ सद्ग़ुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने कहा कि, सद्ग़ुरुदेव ने अपनी वर्षों की आंतरिक-साधनासे ‘इस्सयोग’ प्रवर्तन किया और उसे जगत-कल्याण के लिए संसार को दिया।
समारोह का उद्घाटन, श्रीमाँ के निदेशानुसार संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा ने दीप-प्रज्वलित कर किया। सदगुरुदेव के चित्र पर माल्यार्पण वरिष्ठ इस्सयोगी बहन संगीता झा ने किया। इसके पश्चात आधे घंटे की आह्वान की साधना की गई। एक घंटे के अखंड संकीर्तन और फिर माँ मनोकामना का विधिवत पूजन और देवी-भजन के पश्चात साधकों के उद्गार और माता जी का आशीर्वचन हुआ।
इस अवसर पर शक्तिपात-दीक्षा का कार्यक्रम भी संपन्न हुआ, जिसमें 54 नव-जिज्ञासुओं को माताजी द्वारा, इस्सयोग की आंतरिक साधना आरंभ करने हेतु आवश्यक शक्तिपात-दीक्षा दी गयी।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि समारोह में संस्था के संयुक्त और सांसाद रमा देवी, सांयुक्त सचिव-सह-कोषाध्यक्ष ई उमेश कुमार, लक्ष्मी प्रसाद साहू, शिवम् झा, सरोज गुटगुटिया, दीनानाथ शास्त्री, सी एल प्रसाद, वंदना वर्मा, काव्या सिंह झा, राकेश श्रीवास्तव, विजय मालिनी, योगेन्द्र प्रसाद, डा जेठानंद सोलंकी, डा मनोज राज, संगीता ठाकुर, बीरेन्द्र राय, आर सी तिवारी तथा विनोद तकियावाला समेत देश के विभिन्न प्रांतों से आए सैकड़ों की संख्या में इस्सयोगी उपस्थित थे।