जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 16 जुलाई ::विकासशील स्वराज पार्टी के प्रतिनिधि मंडल अपने नेता ई. प्रेम कुमार चौधरी के नेतृत्व में बिहार के राज्यपाल से मिलकर निषाद समाज के लिए पांच सूत्री माँग का ज्ञापन रविवार को सौंपा।श्री चौधरी ने बताया कि वर्तमान सरकार हमारे समाज को कमजोर करने का काम कर रही है, हमारी संस्कृति के अनुसार हमारे प्राकृतिक संसाधनों से बनने वाले व्यवसाय को नष्ट किया जा रहा है, साथ ही सरकार हमारे जीविकोपार्जन हेतु व्यवसाय में अन्य दबंग समुदाय को जोड़कर उन्हें प्रोत्साहित और हमे कमजोर करने की मानसिकता से साथ काम कर रही है। हमारे समुदाय को 16 उपजातियों में बांटकर गणना कर रही है ताकि हमे खण्डित कर समुचित भागीदारी से बंचित रखा जा सके।उन्होंने कहा कि जल्द ही हमारा समाज इन सभी पहलुओं पर सामाजिक अंकेक्षण करेगा और आने वाले समय में वर्तमान सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।श्री चौधरी ने कहा कि हमारी प्रतिनिधि मंडल ने बिहार के राज्यपाल से अनुरोध किया हैं कि हमारे सभी उप समुदायों को एक मुख्य श्रेणी निषाद (मछुआरे) के तहत एकीकृत किया जाय, ताकि हमारे समाज की बेहतरी और उत्थान हो सके।उन्होंने कहा कि निषाद समुदाय में बिहार के 16 उप जातियां शामिल हैं, भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के बाद भी इन जातियों की सामाजिक स्थिति आज भी वंचित अवस्था में है। जबकि इस समुदाय की कुल जनसंख्या 16% से अधिक है और अभी भी यह समुदाय सामाजिक स्तर में बेहतर उत्थान के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने अनुरोध किया हैं कि इस समुदाय के बेहतर उत्थान के लिए निषाद समुदायों के आरक्षण देने पर विचार किया जाय।श्री चौधरी ने कहा कि बिहार राज्य में मछुआरा आयोग की स्थापना 2013 से की गई है, लेकिन अब तक इस आयोग को संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं हुआ है। इसलिए उन्होंने अनुरोध किया है कि निषाद समुदाय के संरक्षक के रूप में इसे संवैधानिक बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाई जाय।उन्होंने कहा है कि मछुआरा समुदाय की सूची को अधिसूचित करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए अनुरोध किया हैं, जिससे इस समाज के लिए उचित और उपयुक्त नीति का मसौदा तैयार किया जा सके।श्री चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक जल निकाय (नदी, तालाब, नहर) और खनन संसाधनों के विरासत और सांस्कृतिक अधिकार के माध्यम से पूर्ण रूप से निषाद समुदाय का सशक्तिकरण किया जाय।पुरानी सभ्यता से “प्राकृतिक जल निकायों और खनन” के माध्यम से रोजगार के एकमात्र स्रोत के रूप में हमारे पास इसके विरासत अधिकार थे, लेकिन समय के साथ हम इन स्रोतों से वंचित होते जा रहे हैं, जिससे हमारी सामाजिक स्थिति पर काफी दयनीय असर पड़ा है, इसलिए अनुरोध किया हैं कि इस पर विचार कर उचित व्यवस्था की जाय ताकि निषाद समुदायों को प्राकृतिक स्रोतों का स्वामित्व पुनः प्राप्त हो सके।उन्होंने कहा है कि बिहार में हमारे समुदाय के वंचित होने का मुख्य कारण प्राकृतिक जल निकाय संसाधनों और खनन के माध्यम से सामाजिक सशक्तिकरण की कमी है। जल स्रोतों और खनन क्षेत्रों द्वारा सामाजिक सशक्तिकरण और रोजगार के अवसर से ही भारत के तटीय क्षेत्र में हमारे समुदाय की सामाजिक स्थिति अच्छी है। बिहार में मछुआरा समुदाय अपने अधिकारो से वंचित होने के कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति काफी निराशाजनक है, इसलिए सकारात्मक पहल की अवश्यकता है।।