जितेन्द्र कुमार सिन्हा,मुख्य संपादक /निःसंदेह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिना किसी बहस के प्रतिकवादी राजनीति का प्रणेता माना जा सकता है। वे अपने विरोधियों के सामने ऐसे प्रतीक खड़े कर देने में सफल रहे हैं कि विरोधी उसकी काट ढूंढ़ नहीं पाए। लगता है कि विपक्षी महागठबंधन का एक मात्र लक्ष्य एनडीए को मात देना है। इन्होंने जो नया गठबंधन बनाया है उसमें जनता को नहीं दिखता है जनता का काम। आदमी पढ़ा हो या नहीं वह नाम से भ्रमित नहीं होता है।लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को परास्त करने के लिए महागठबंधन की दूसरी बैठक बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को संपन्न हुआ। इस बैठक में 26 पार्टियाँ शामिल हुई, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), अपना दल (कमेरवादी), जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस (नेक), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लिबरेशन, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी), मरूमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके), विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके), कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), मणिथनेक मक्कल काची (एमएमके), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (एम) एवं केरल कांग्रेस (जोसेफ) थे।महागठबंधन की पहली बैठक पटना में 23 जून को हुई थी जिसमें 15 पार्टियाँ जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), डीएमके, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी (सपा), आम आदमी पार्टी (आप), जम्मू-कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस (नेक), और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) शामिल थे।महागठबंधन की दूसरी बैठक के बाद अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी बैठक के नतीजे पूरे देश के लिए अच्छे होंगे, आगामी लोक सभा चुनाव में इंडिया जीतेगी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) हारेगी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) के नेता राहुल गांधी ने कहा कि अब लड़ाई इंडिया और नरेन्द्र मोदी के बीच है। जब भी कोई हिंदुस्तान के सामने खड़ा होता है तो जीत किसकी होगी यह बताने की जरूरत नहीं है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि इतिहास, आज का दिन देशभक्ति और सकारात्मक राजनीति के लिए बंगलुरू आंदोलन के दिन के रूप में याद करेगा, देश की दो-तिहाई जनता भाजपा के खिलाफ है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि विपक्षी दलों की लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि तानाशाही के विरुद्ध है। एक व्यक्ति और एक पार्टी देश नहीं है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार को बीते नौ साल के दौरान देश और जनता के लिए काफी कुछ काम करने का अवसर मिला था, लेकिन किसी भी क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ।बेंगलुरु में चली दो दिनों तक विपक्षी महागठबंधन की बैठक के बाद साझा प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार, लालू यादव, शरद पवार उपस्थित नहीं हुए थे। साझा प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एलान किया कि विपक्षी गठबंधन का नया नाम ‘INDIA’, रखा गया है। ये गठबंधन आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी की सरकार को हटाने के लिए बनाया गया है। बैठक में 11 सदस्यीय “समन्वय समिति” गठित करने का भी निर्णय लिया गया है, लेकिन इनके सदस्यों के नामों की घोषणा, महागठबंधन की तीसरी बैठक जो मुंबई में होगी वहाँ किया जायेगा। सभी 26 पार्टियों ने साथ मिलकर जो गठबंधन बनाया है उसे “इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस” यानि INDIA नाम दिया गया है। इससे ऐसा लगता है कि यूपीए का नाम बदल कर अब इंडिया रखा गया है। मुंबई में होने वाली बैठक की तारीख बाद में घोषित किया जायेगा। बैठक में चुनाव के लिए दिल्ली में नया सचिवालय (वार रूम) भी बनाने की बात हुई है।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि यह लड़ाई देश के लिए है, इसलिए इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) नाम चुना गया, यह NDA और INDIA की लड़ाई है। नरेंद्र मोदी और इंडिया के बीच लड़ाई है। उनकी विचारधारा और इंडिया के बीच की लड़ाई है। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि हम एक एक्शन प्लान तैयार करेंगे और एक साथ मिलकर देश में हमारी विचारधारा और हम जो करने जा रहे हैं उसके बारे में बोलेंगे। इससे तो स्पष्ट हो गया है कि गठबंधन की विचारधारा राहुल गांधी (कांग्रेस) की होगी।जब की सर्वविदित है कि कांग्रेस अपने शासन काल में संविधान के माध्यम से अनुच्छेद 25 धर्मांतरण को वैध बनाया गया, अनुच्छेद 28 हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा वापस ली, लेकिन वहीं अनुच्छेद 30 मुस्लिमों और ईसाइयों को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी है। एचआरसीई अधिनियम से सभी मंदिरों और मंदिरों का पैसा सरकार के अधीन किया गया, इसी प्रकार 1975 में “धर्मनिरपेक्ष” शब्द संविधान में जोड़ कर भारत को धर्मनिरपेक्ष बना दिया गया। 1992 में अल्पसंख्यक अधिनियम, 1995 में वक्फ अधिनियम लागू किया गया है, जिसके तहत अधिनियम के माध्यम से किसी की भी जमीन छीनने अधिकार वक्फ को मिल गया है और इसके माध्यम से वक्फ भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बन गया है। उसी प्रकार हिंदू कोड बिल के तहत तलाक कानून, दहेज कानून लागू हुआ। अल्पसंख्यक आयोग कानून लागू किया गया। इतना ही नहीं 2007 में, कांग्रेस की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में रामसेतु हलफनामे में श्री राम के अस्तित्व को अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस धीरे-धीरे बड़ी चतुराई से एक-एक करके हिंदू अधिकारों को हिन्दुओं से पूरी तरह से वंचित किया है।अब लगता है कि देश के विपक्षी महागठवंधन ने अपनी गठबंधन का नाम “इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस” यानि INDIA रखा है जो आंतरिक रूप से अपने ही देश (शासक) को हराने का एक प्रयास किया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि विपक्षी महागठबंधन परिवार बचाओ-लूट मचाओ-झूठ फैलाओ, का एजेंडा लेकर निकले है, इनलोगों को बताना चाहिए कि उनका अतीत इतना काला क्यों है? ऐसे भी देश की जानता विपक्षी दलों के हर रूप और हर रंग को पहचान चुकी है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा है कि अंग्रेजों ने हमारा नाम इंडिया रखा और आज महागठबंधन ने सही मान लिया। हमारे पूर्वज भारत के लिए लड़े और हम भारत के लिए काम करते रहेंगे। अब इंडिया के लिए कांग्रेस (महागठबंधन) और भारत के लिए नरेन्द्र मोदी (एनडीए) आगामी चुनाव लड़ेंगे।वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया कि इस बैठक में 38 सहयोगी दल शामिल हैं। एनडीए की बैठक में शामिल होने वाले दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, अपना दल (सोनीलाल), नेशनल पीपुल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, मिजो नेशनल फ्रंट, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, नागा पीपुल्स फ्रंट नागालैंड, रिपब्लिकन पार्टी भारत के (अठावले), असम गण परिषद, पट्टली मक्कल काची, तमिल मनीला कांग्रेस, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त), महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी , जननायक जनता पार्टी, प्रहार जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष, जन सुराज्य शक्ति पार्टी, कुकी पीपुल्स एलायंस, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (मेघालय), हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, निषाद पार्टी, ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस, एचएएम, जन सेना पार्टी, हरियाणा लोकहित पार्टी, भारत धर्म जन सेना, केरल कामराज कांग्रेस, पुथिया तमिलगम, लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट का नाम है।
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