सौरभ निगम की रिपोर्ट /लखनऊ के विभूति खण्ड गोमती नगर में स्थित मध्य सेक्टर, सीआरपीएफ कार्यालय के प्रांगण में 27 जुलाई 2023 को शौर्य, पराक्रम, बलिदान एवं मानवीय मूल्यों के स्वर्णिम व गौरवमयी इतिहास से परिपूर्ण विश्व के सबसे बड़े एवं पुराने अर्धसैनिक बल के रूप में स्थापित सीआरपीएफ का 85वां स्थापना दिवस समारोह पूरे जोश, हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाया गया। सीआरपीएफ के महानिरीक्षक श्री सतपाल रावत ने सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी तथा उपस्थित अधिकारियों एवं जवानों को देश सेवा के लिए सदैव तत्पर रहने का आह्वान किया। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत का प्रमुख केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। अंग्रेजी शासनकाल में 27 जुलाई 1939 को ‘काउन रिप्रेजेन्टेटिवस पुलिस’ (सी.आर.पी) के नाम से इस बल का गठन वर्तमान मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित नीमच नामक स्थान पर किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय की देशी रियासतों में आंदोलनों एवं राजनीतिक अशांति को नियंत्रित कर कानून-व्यवस्था बनाए रखना था। स्वतंत्रता पश्चात इस सुरक्षा बल ने देशी रियासतों के भारत संघ में विलय की प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका निभाई। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी दूरदर्शिता से इस सुरक्षा बल के बहुआयामी अस्तित्व को समझते हुए देश की अखण्डता एवं आंतरिक सुरक्षा के हित में इसे आजादी के बाद भी अक्षुण्ण बनाए रखने का अहम निर्णय लिया। तदनुसार, 28 दिसम्बर 1949 को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल अधिनियम के लागू होने के साथ ही यह सुरक्षा बल अपने वर्तमान स्वरूप में आ गया।श्री रावत ने बताया कि इस बल के शौर्य तथा बलिदान की अनेकों वीर गाथाएं इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। 21 अक्टूबर, 1959 को हॉट स्प्रिंग लद्दाख में सी.आर.पी.एफ के 10 वीरों ने चीन की सेना का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था, जिनकी याद में प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को देश के सभी पुलिस बल पुलिस स्मृति दिवस’ के रूप में मनाते है।9 अप्रैल 1965 को सरदार पोस्ट कच्छ गुजरात में सी.आर.पी.एफ की मात्र दो कंपनियों ने पाकिस्तानी सेना की 51वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड द्वारा किए गए हमले को विफल कर शौर्य की अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत की। इस युद्ध में सी. आर.पी.एफ के एक छोटे दल ने बहादुरी से लड़ते हुए न सिर्फ 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया बल्कि 4 सैनिकों को बंदी भी बनाया था। इस युद्ध में सी.आर.पी.एफ के 8 वीरो ने भी अपने प्राणों की आहुति दी। इस दिन को ‘शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।के०रि०पु०बल ने देश के बाहर भी विश्व में शांति की स्थापना के प्रयासों में अपना अमूल्य योगदान दिया है। 1987 में श्री लंका के जाफना में भारतीय शांति सेना के रूप में पहले अर्धसैनिक बल के रूप में तैनात रही संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन चलने वाले अन्तर्राष्ट्रीय अभियानों में हैती, कोसोवो तथा लाइबेरिया में शांति की स्थापना हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।13 दिसम्बर, 2001 को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा संसद भवन पर किए गए आतंकी हमले को इस बल के वीर जवानों ने विफल किया तथा पांचों आतंकवादियों को मार गिराया। इस वीरता पूर्ण कृत्य को अंजाम देते हुए चल की वीरागंना महिला सिपाही कमलेश कुमारी ने अदम्य साहस और सूझ-बूझ का परिचय देते हुए कर्त्तव्य पालन करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया।अयोध्या के श्री राम जन्म भूमि तथा जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर हुए आतंकी हमले को भी इस बल के वीर जवानों ने न केवल विफल किया बल्कि सभी हमलावरों को ढेर कर दिया।भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद पूरे कश्मीर घाटी में शांति एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने और आतंकवादियों के सफाए के लिए इस बल ने जिस बहादुरी एवं धैर्य के साथ अपने ड्यूटी को अंजाम दिया, उसी का परिणाम रहा कि पूरे घाटी में कानून-व्यवस्था तथा शांति बनी रही। अपने स्वर्णिम अस्तित्व के 84 वर्षो में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने देश सेवा के पथ पर शौर्य और साहस के अनगिनत कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस बल के जाबांज देश की सीमाओं की सुरक्षा से लेकर देश के भीतरी हिस्सों में आंतरिक सुरक्षा, शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने का कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाते आएं है। इस बल की कार्यदक्षता, कर्तव्यनिष्ठा एवं देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने के जज्बे का परिणाम है कि 02 बटालियन से प्रारंभ होकर आज 247 बटालियनों के साथ विश्व के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल होने का इसे गौरव प्राप्त है। राष्ट्र की सेवा में अभी तक सी.आर.पी.एफ. के 2200 से अधिक बहादुर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।उन्होंने बताया कि सी.आर.पी.एफ के शौर्य एवं पराक्रम को सर्वोच्च मान्यता देते हुए अब तक इस बल को वर्ष 2023 के गणतंत्र दिवस तक कुल 2200 वीरता के पदक प्रदान किये गये हैं जो कि इस बल की परिचालनिक सफलताओं का परिचायक है।श्री रावत ने आगे बताया कि सी.आर.पी.एफ केन्द्र सरकार का बहुउद्देशीय बल है जिसके पास अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करने के लिए अपने स्पेशलाईज्ड विंग है जैसे कि सांप्रदायिक व जातीय हिंसा से निपटने के लिए आर.ए.एफ., नक्सलवाद च माओवाद से निपटने के लिए कोबरा बटालियन एवं अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए वी०आई०पी० बटालियन, प्रधानमंत्री कार्यालय और आवास सुरक्षा हेतु एस०डी०जी० और लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा में पी. डी. जी. इसके अतिरिक्त इस बल ने सबसे पहले 1986 में पूर्ण महिला बटालियन की स्थापना की थी जिनकी संख्या आज बढ़कर 06 हो गयी हैं, और ये सभी हर कार्य में दक्ष हैं।श्री ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति के पुलिस पदक से किया अलंकृत.लखनऊ के बिजनौर स्थित सीआरपीएफ के ग्रुप केन्द्र प्रांगण में स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
सीआरपीएफ अधिकारियों एवं जवानों को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त किए गए पुलिस पदकों से अलंकृत किया। इस अवसर पर श्री पाठक ने सीआरपीएफ को उनके स्थापना दिवस की बधाई दिया तथा इस बल द्वारा देश की आंतरिक सुरक्षा में किए गए योगदान को भी याद किया तथा बताया कि सीआरपीएफ ने देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दिया है तथा सरकार एवं आम जनता के भरोसे को बनाए रखा है। इस समारोह में श्री सतपाल रावत, महानिरीक्षक तथा श्री डी0के0 त्रिपाठी, उप महानिरीक्षक, श्री एच०के० कनौजिया, उप महानिरीक्षक, श्री एस० पी० सिंह, उप महानिरीक्षक, श्री भूपेन्द्र कुमार, उप महानिरीक्षक तथा श्री सुनील कुमार, उप महानिरीक्षक तथा अधिकारीगण, अधीनस्थ अधिकारी और जवान तथा उनके परिवारीजन शामिल हुए।