प्रियंका की रिपोर्ट /प्रेमचन्द की रचनाएँ और उनमें मौजूद पात्र हमें चुनौती देते हैं और इस चुनौती को हमें स्वीकार कर अपनी और अपने मौजूदा माहौल की समीक्षा करनी चाहिए । यह बातें प्रसिद्ध रंग कर्मी एवं हिन्दी के जाने माने साहित्यकार प्रो. जावेद अख्तर खाँ ने कल टी.पी.एस. कॉलेज पटना में प्रेमचन्द जयंती के अवसर पर ह्यू (HUE) द्वारा आयोजित समापन व्याख्यान देते हुए कहीं । उन्होंने कहा कि हमें प्रेमचन्द को समझने के लिए अपना नज़रिया बदलना चाहिए । प्रेमचन्द समाज के किसी एक तवके के लेखक नहीं थे उनकी लेखनी समाज के किसी भी क्षेत्र में हो रहे अन्याय जुल्म और अमानवीय मूल्यों के खिलाफ थी । समारोह की अध्यक्षता पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की अध्यक्ष प्रो. एस.ए.नूरी ने किया । मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि ह्यू का यह प्रयास सराहणीय है । इस अवसर पर हिन्दी विभाग, टी.पी.एस. कॉलेज के अध्यक्ष प्रो. शशि भूषण चौधरी ने प्रेमचन्द की जीवनी के कुछ दिलचस्प पहलुओं से अवगत कराया । उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. अबू बकर रिज़वी ने समारोह का संचालन किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के डॉ. उददयन मुखर्जी ने किया । इस अवसर पर प्रो. श्यामल किशोर और डॉ. नीशू ने भी सम्बोधित किया ।