नेहरा को लेकर हाल ही में सौरव गांगुली ने एक बड़ा खुलासा किया है।
इंटरव्यू देते हुए गांगुली ने कहा, ‘मुझे लगता है कि नेहरा के बेस्ट फ्रेंड फिजियो थे क्योंकि मुझे लगता है कि नेहरा अपनी पत्नी से ज्यादा समय अपने फिजियो के साथ बिताते थे। हालांकि अपनी बॉडी की परेशानियों की वजह से वो ज्यादा समय तक क्रिकेट नहीं खेल पाए, लेकिन वो हैं बहुत ही प्रतिभाशाली हैं। इसलिए चोट लगने के बाद भी वो क्रिकेट खेलते रहे। वो चोटों से घिरे रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
गांगुली ने कहा, ‘उनका विदाई समारोह बहुत ही सम्मानजनक था। बहुत खिलाड़ियों की ऐसी किस्मत नहीं रही जिन्हें अपने ही घरेलू मैदान पर आखिरी मैच खेला हो। इससे पहले महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को ही ये ख्याति हासिल हुई है और अब इस लिस्ट में आशीष नेहरा भी शामिल हो गए हैं। अच्छा लगता है कि चयनकर्ताओं ने उसपर अपना विश्वास दिखाया। अपने आखिरी मैच में नेहरा ने अच्छी गेंदबाजी की। कोटला में उनकी गेंदबाजी बिल्कुल अलग थी। ‘
बता दें कि इससे पहले आशीष नेहरा को सम्मान देते हुए उनके पूर्व साथी क्रिकेटर हेमंग बदानी ने अपने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने नेहरा के साथ क्रिकेट खेलते हुए कुछ पलों को शेयर किया। बदानी ने अपने वीडियो में कहा, मुझे एक घटना याद है जब सौरव गांगुली की कप्तानी में नेहरा ने उनको न डरने की नसीहत दी थी।
2004 में भारत पाकिस्तान में वनडे सीरीज खेलने गया था। उस वक्त आशीष नेहरा चोटों से गुजर रहे थे लेकिन उनकी चोट का असर फॉर्म पर नहीं पड़ा। पूरी सीरीज में उनकी शानदार परफॉर्मेंस रही। कराची वनडे में जब टीम इंडिया ने 300 प्लस का टार्गेट पाकिस्तान को दिया तो लग रहा था टीम इंडिया आराम से मैच जीत जाएगा।
लेकिन पाकिस्तानी बल्लेबाज मोइन खान की शानदार बल्लेबाजी के चलते मैच रोमांचक मोड़ की तरफ बढ़ गया। उस वक्त सभी को लग रहा था कि मैच टीम इंडिया के हाथ से निकल गया। आखिरी ओवर में पाकिस्तान को 10 रनों की जरूरत थी।
गांगुली को समझ नहीं आ रहा था कि वो किसे बॉलिंग करने को बोलें क्योंकि सभी बॉलर बुरी तरह पिट चुके थे। उसी वक्त बाउंड्री से आशीष नेहरा गांगुली के पास आए और कहा, ‘दादा मैं डालता हूं… आप डरो मत… मैं मैच विन करके दूंगा।’ जिसके बाद नेहरा ने आखिरी ओवर डाला और न सिर्फ उन्होंने मोइन खान को आउट किया बल्कि सिर्फ 3 रन देकर टीम इंडिया को मैच जिताया।