पटना, ७ अगस्त। दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास और उनके बाधा-निवारण में, पुनर्वास-विशेषज्ञों, विशेष-चिकित्सकों और विशेष-शिक्षकों की हस्तक्षेप प्रक्रिया में माता-पिता की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि उनको भी सम्यक् प्रशिक्षण दिया जाए। ऐसे बच्चों के माता-पिता को, जिनकी इस कार्य में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, पुनर्वास-कार्य की आधार-भूत शिक्षा अवश्य मिलनी चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि प्रशिक्षण-कार्यक्रम से उन्हें भी जोड़ा जाए।यह बातें रविवार की संध्या, भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एजुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर में, संपन्न हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि दिव्यांग-बच्चों के माता-पिता के प्रशिक्षण हेतु कमसेकम तीन महीने का एक विशेष प्रशिक्षण-कार्यक्रम संचालित किया जाना चाहिए, जिसमें जन्म के समय से बच्चों में बाधाओं की पहचान से लेकर आगे आने वाली चुनौतियों का सामना करने, उपचार और पुनर्वास-कार्यक्रम से किस प्रकार यथा-शीघ्र जुड़ें, इसकी विधिवत और प्रायोगिक प्रशिक्षण सम्मिलित हो। इससे विकलांगता निवारण में दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि दिव्यांगता-निवारण और उनके पुनरवास में माता-पिता की भूमिका सबसे बड़ी हो सकती है। गर्भावस्था से लेकर होश आने तक शिशु अपनी मां से ऊर्जा प्राप्त करता है। यदि माता-पिता को दिव्यांगता और उससे होने वाली समस्याओं के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त हो जाए और पुनर्वास-प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए, तो इस दिशा में व्यापक हस्तक्षेप किया जा सकता है।’दिव्यांगों के पुनर्वास में हस्तक्षेप-प्रक्रिया में माता-पिता की समान भागीदारी’ विषय पर आयोजित इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में,सुप्रसिद्ध नैदानिक मनो-वैज्ञानिक डा नीरज कुमार वेदपुरिया, दानापुर छावनी स्थित विशेष विद्यालय ‘आशा स्कूल’ की प्रधानाचार्य कल्पना झा, राँची (झारखंड) की स्वाति दारुका, ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) की मंजूषा मिश्र, राष्ट्रीय न्यास, दिल्ली से आसुतोष कुमार सिंह, राँची से मो गुलज़ार अहमद तथा जमशेदपुर (झारखंड) से डा प्रकाश कुमार महंता प्रो प्रेम लाल तथा सुनील कुमार यादव ने अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए। वरिष्ठ पुनर्वास-विशेषज्ञ डा अबनीश रंजन ने अतिथियों का स्वागत तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो कपिल मुनि दूबे ने किया। संतोष कुमार सिंह ने मंच का संचालन किया।बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा बंगाल सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आए,सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागिता-प्रमाण-पत्र दिया गया। आयोजन की सफलता हेतु, संस्थान के प्रशासी अधिकारी सूबेदार संजय कुमार, डा संगीता रंजना, प्रो प्रिया तिवारी, विशेष शिक्षक दीपक कुमार, प्रो जया कुमारी आदि सक्रिय रहे.