अमन बहाली और कश्मीर समस्या के समाधान के लिए केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा ने रविवार को कहा कि मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। मैं चाहता हूं कि मेरे प्रयासों का आकलन अतीत के अनुभवों और चश्मे के बजाय ईमानदारी से होना चाहिए।
नई दिल्ली से एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में पूर्व खुफिया निदेशक ने कहा कि जब तक कश्मीर में विभिन्न पक्षों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। मैं सोमवार को कश्मीर पहुंच रहा हूं। वहां मैं लोगों से मिलकर उनकी पीड़ा को समझने का प्रयास करते हुए उनके जख्मों का सही इलाज तलाश सकूं। उन्होंने कहा कि कश्मीर प्रवास के दौरान विभिन्न बुद्घिजीवियों से भी मुलाकात करूंगा। इस मुश्किल राष्ट्रीय कार्य का हल निकालने में उनकी राय लूंगा।
मूलत: बिहार निवासी दिनेश्वर शर्मा जो वर्ष 1979 बैच के केरल कैडर के आइपीएस हैं, ने कहा कि कश्मीर में मेरा दूसरा घर है। देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी में मेरा कैरियर 1992 में कश्मीर में ही शुरू हुआ था। जब मैं पहली बार कश्मीर आया था तब से लेकर अब तक कुछ नहीं बदला है।
प्रेम और सौहार्द जिसे कश्मीरियत कहते हैं, में कोई कमी नहीं आई है। इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं एक नया कश्मीर जहां शांति और खुशहाली होगी की स्थापना में कुछ योगदान करने में समर्थ रहूंगा। कश्मीर में वार्ता प्रक्रिया को लेकर रणनीति के बारे में दिनेश्वर शर्मा ने कहा कि मेरे पास कोई जादुई छड़ी नहीं है जो रातों रात हालात बदल दे। मैं पहले ही कह चुका हूं कि मेरा हर प्रयास जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति की बहाली की दिशा में ही होगा।
दिनेश्वर कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी कश्मीर में अमन बहाली के प्रयास किए हैं। मुझे नहीं पता कि उन प्रयासों का क्या हुआ, मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। मैं सिर्फ इसी पहल के बारे में बोल सकता हूं जिसे कई लोगों की महीनों तक की गई अथक मेहनत और विचार विमर्श के बाद शुरू किया गया है।
अतीत से बाहर आएं अलगाववादी
हुर्रियत कांफ्रेंस व अन्य अलगाववादी संगठनों द्वारा बातचीत से इन्कार करने पर उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों को अतीत के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। यह उन पर निर्भर करता है कि वह जम्मू कश्मीर में शांति व सामान्य स्थिति की बहाली की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर सीमा के उस पार रहना चाहते हैं जहां सिर्फ तबाही ही सबसे आगे है। मेरी सभी से अपील है कि वह सरकार के इस प्रयास को अतीत के चश्मे से न देखें।
चालीस से अधिक प्रतिनिधिमंडलों से मिलेंगे
केंद्रीय वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा सोमवार को कश्मीर मिशन के लिए पहुंच रहे हैं। चार दिन तक कश्मीर में वह 40 प्रतिनिधिमंडलों से मिलेंगे। इनमें राजनीतिक दल, सामाजिक, व्यापारिक, विद्यार्थी, पत्रकार व बुद्धिजीवी वर्ग शामिल होंगे। अलगाववादी खेमे ने वार्ता का बहिष्कार कर रखा है। सुरक्षा कारणों से सरकार ने अभी बैठक स्थल की जानकारी नहीं दी है। पूरे कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
सूत्रों के अनुसार सोमवार सुबह ही दिनेश्वर शर्मा श्रीनगर पहुंच जाएंगे। कड़ी सुरक्षा के बीच वह बैठक स्थल जाएंगे। अमन बहाली व कश्मीर समस्या के समाधान के लिए रोडमैप तैयार करने के मकसद से वह विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से रूबरू होंगे। हाउस बोट एसोसिएशन, शिकारा एसोसिएशन, तीन मजहबी संगठन, गुज्जर बक्करवाल एसोसिएशन, पहाड़ी वेलफेयर फोरम, दस्तकार यूनियन, केसर व फल उत्पादक एसोसिएशन, व्यापारिक संगठन, पत्रकार एसोसिएशनों के तीन गु्रप, गैर सरकारी संगठन व बुद्धिजीवी वर्ग के अलावा राजनीतिक दलों के नेताओं से वार्ताकार मुलाकात करेंगे। सभी प्रतिनिधिमंडलों को प्रशासन ने न्योता भेज दिया है। दूसरी ओर अलगाववादी खेमे ने कश्मीर पर वार्ताकार से बातचीत करने से इन्कार कर दिया है। चार दिन के बाद वह जम्मू में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात करेंगे।