पटना, २७ अगस्त। राम का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के पहले के प्राचीन साहित्य में न के बराबर है। वाल्मीकि रामायण में श्री राम की चर्चा देवत्व के गुणों से युक्त एक मर्यादा पुरुषोत्तम राजा के रूप में हुई है। श्री राम को भगवान बनाया भक्ति-आंदोलन ने, जिसके नायक तुलसी दास हैं। उनकी काव्य-प्रतिभा अतुल्य है। उन्होंने ही राम को परम ब्रह्म और ईश्वर बना दिया। साक्षात मनुष्य के रूप में खड़ा कर श्री राम में ईश्वरत्व का आरोपण किया। राम को आधार बनाकर भक्ति को चरम पर ले जाने का सम्पूर्ण श्रेय संत तुलसी को जाता है और यही उनके महान ग्रंथ ‘राम चरित मानस’ का प्रतिपाद्य है।यह बातें रविवार को, पटेल नगर स्थित ‘देव पब्लिक स्कूल’ में प्रबुद्ध हिंदू समाज द्वारा आयोजित तुलसी जयंती का उद्घाटन करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, तुलसी ने राम कथा के माध्यम से समाज के समक्ष एक ऐसा आदर्श रखा, जो युगों-युगों तक भारत को श्रेष्ठ बनाए रखने में सक्षम है। यह तुलसी ही हैं, जिन्होंने आदि कवि बाल्मीकि के ‘मर्यादा-पुरुषोत्तम श्री राम’ को ‘भगवान’ बना दिया। उनके दर्जन-भर ग्रंथ हिन्दी साहित्य की अनमोल निधि है।समारोह के मुख्य अतिथि और वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो सुभास प्रसाद सिन्हा ने कहा कि संत तुलसी दास की विशेषता यह है कि वे मानस के माध्यम से राम और रामायण को घर-घर में पहूँचा दिया। राम की कथा समाज के लिए आदर्श है। यह परस्पर व्यवहार का भी प्रशिक्षण देती है।इस अवसर पर, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, कुमार अनुपम, अरुण शंकर, डा मनोज कुमार, रत्नेश आनन्द तथा अजय कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।सभा की अध्यक्षता समाज के अध्यक्ष प्रो जनार्दन सिंह ने की। अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव आचार्य पाँचु राम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन अरुण कुमार राय ने किया। मंच का संचालन विद्यालय के निदेशक डा दिनेश कुमार देव ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के अध्यक्ष ने विद्वानों और विदुषियों को अंग-वस्त्रम और पुष्प-हार पहनाकर सम्मानित किया।