पटना /बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित खादी मॉल सभागार में मानवाधिकार संरक्षण के लिए समर्पित मानवाधिकार टुडे द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर रविवार को परिचर्चा सह गुरु सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसके प्रथम सत्र में गुरुओं का शैक्षणिक महत्व विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया और दूसरे सत्र में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह का उदघाटन पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहारी सिंह, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ, प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ आर. एन. सिंह, प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. जे.के. सिंह, पद्मश्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची, चर्चित समाजसेवी पद्मश्री विमल जैन, उद्योग विभाग के विशेष सचिव श्री दिलीप कुमार और वरिष्ठ पत्रकार डॉ शशि भूषण कुमार ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. रास बिहारी सिंह ने कहा कि गुरु का कार्य सिर्फ विद्यार्थियों को पढाना नहीं होता है, बल्कि उसमें नैतिक मूल्यों का विकास करना भी है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा से ही समाज का सशक्तीकरण संभव है। डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि शिक्षा वह शक्ति है जो व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य करती है। इससे व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा देने पर बल दिया। पद्मश्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ने अपने संबोधन में कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे व गुणवान शिक्षक का होना अनिवार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों में सामाजिक ज्ञान को जरूरी बताया है। पद्मश्री डॉ. आर. एन. सिंह ने कहा कि शिक्षक का ज्ञानवान व चरित्रवान होना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि महान शिक्षक वह होता है जो विद्यार्थियों को विषयगत जानकारी देने के साथ-साथ उसे अभिप्रेरित भी करें। पद्मश्री डॉ जितेंद्र कुमार सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा व्यक्ति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कार्य करती है। शिक्षा के बिना व्यक्ति बिना पूंछ वाले पशु के समान है। पद्मश्री विमल जैन ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद से निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है। हमारे देश में अनेकों गुरु हुए है जिन्होंने देश- विदेश में अनेकों कीर्तिमान स्थापित किया है। भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी दिलीप कुमार ने कहा कि शिक्षकों में उच्च शैक्षणिक योग्यता का होना नितांत आवश्यक है। अध्यापक वही है, जो निरंतर अध्ययन में लगा रहता है। मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित प्रो. सुमेधा पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि गुरु शब्द गु और रु से बना है जिसमें गु का अर्थअंधकार और रु का अर्थ प्रकाश होता है अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला व्यक्ति गुरु कहलाता है। उन्होंने आगे कहा कि गुरु के बिना ज्ञान असंभव है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होता है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए।साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी संस्था हमेशा समाज के उत्थानकर्ताओं को अभिप्रेरित करने का कार्य करती रही है। यह समारोह उसी कड़ी का हिस्सा है। मानवाधिकार कार्यकर्ता अमित कुमार ‘विश्वास’ ने कहा कि भारतीय संविधान के भाग 3 के अंतर्गत वर्णित मौलिक अधिकार के अनुच्छेद 21क में शिक्षा का अधिकार का उपबंध किया गया है। उन्होंने रोजगारउन्मुख शिक्षा पर बल दिया। समारोह में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सागरिका रॉय और मंच संचालन कौसर परवेज़ ने किया। समारोह में अनुराधा प्रसाद, अमन कुमार, रवि कुमार रॉय, पत्रकार कुंदन कृष्णा, आदिल, अलका श्री, रुपाली, डॉ मनदीप सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।पूरे बिहार के आये हुए इन सभी व्यक्तियों को गुरू सम्मान से किया गया सम्मानित :अनुज कुमार सिंह, संजय कुमार, पूजा कुमारी, प्रियंका कुमारी, डॉ शिव बालक रॉय प्रभाकर, सागरिका रॉय, स्वाति कुमारी, डॉ सीमा यादव, जोसेफ बिश्वास, लोकेश नाथ सिंह, डॉ सीमा रानी, स्नेहा रॉय, मुस्कान सिंह, धर्मेंद्र कुमार, बबिता सिंह, खुशबू सिंह, विश्वजीत कुमार, विकास कुमार, राकेश रंजन शर्मा, राजा राम चौरसिया, कृष्णा कुमार, डॉ शालिनी पांडेय, बबिता सिंह, डॉ सुमेधा पाठक, राजेश कुमार, राजा राम दास, दिलीप कुमार, अमित कुमार ‘विश्वास’, कौशर परवेज़ खान, प्रो. डॉ राम लखन साह, संजीव कुमार जायसवाल, उमेश कुमार, विनीता कुमारी, दीपक पाहुजा, रविन्द्र लाल, कृष्ण मोहन मिश्रा, हीरा कुमार झा, उमर खान, डॉ विश्वनाथ कुमार, आमिर खान, रूबी कुमारी, प्रीतम कुमार झा, अजय बिहारी सिंह,