शैलेश तिवारी की रिपोर्ट /“बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता आनन्द माधव ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि जब वरिष्ठ सरकारी सेवकों को ही अपनें सरकारी व्यवस्था पर विश्वास नहीं है, तो आम जनता क्या करेगी।”पटना के ज़िलाधिकारी डा. चंद्रशेखर जी को डेंगू से स्वस्थ हो जाने की बधाई देते हुए कहा कि ईश्वर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करे जिससे वे एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में समाज के लिये कार्य कर सकें।साथ ही उन्होंने साथ ही यह भी कहा है कि सरकारी व्यवस्था पर बड़े सरकारी अधिकारियों का ही भरोसा नहीं है, वरना बिहार की राजधानी जहां चार बड़े अस्पताल हैं ( #AIIMS, #IGIMS, #PMCH & #NMCH) और बड़े बडे सरकारी दावे भी, फिर भी ज़िले के सबसे बड़े अधिकारी निजी अस्पताल में अपना इलाज कराते क्योंकि उन्हें सरकारी डाक्टरों पर एवं अस्पताल की व्यवस्थाओं पर विश्वास नहीं है। अगर इन्हें अपनी व्यवस्था पर भरोसा नहीं है, तो आम जनता को वहाँ इलाज के लिये कैसे विश्वास दिला सकते हैं हम, यह एक यक्ष प्रश्न है।दूसरी ओर निजी अस्पताल ने अख़बारों में डीएम साहब के इलाज का समाचार छपवाकर (कल शायद विज्ञापन भी दे) अपना प्रचार प्रसार तो कर पूरा लाभ उठाया।मैं निजी संस्थानों के विरूद्ध नहीं हूँ, लेकिन सरकारी संस्थाओं के मज़बूतीकरण का समर्थक हूँ।कोरोना काल में मैं भी निजी अस्पताल में ही गया था, क्योंकि शायद मैं भी अब तक सरकारी अस्पतालों पर विश्वास नहीं कर पाया हूँ ।गंभीर प्रश्न है कि, जब एक बडे अधिकारी, वो भी ज़िला अधिकारी एवं मेरे जैसे लोगों को सरकारी व्यवस्था पर विश्वास नहीं है तो आम जनता को कैसे विश्वास दिलाया जाए, जिनकी ज़रूरत भी सरकारी अस्पताल और मजबूरी भी।सरकारी व्यवस्था पर जनता का विश्वास बढ़े इसके लिये सरकारी अधिकारियों एवं राजनेताओें को पहल करना होगा। हम कैसे यह सोच लेतें है कि जहाँ हम अपना इलाज नहीं करा सकते वह जगह हमारी जनता के लिये सही होगा? जब तक सरकारी तंत्र मज़बूत नहीं होता चाहे वह अस्पताल हो या सरकारी स्कूल तब तक सारे विकास के दावे खोखले हैं ।