कौशलेन्द्र पाण्डेय ; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि केवल इंडिया गठबंधन से डरकर हीं भाजपा देश का नाम ‘भारत’ ले रही है जबकि देश का नाम ‘भारत’ करने का वह विरोध करती रही है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जब स्व. मुलायम सिंह यादव जी जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो 3 अगस्त 2004 को उनके द्वारा विधानसभा के अन्दर एक प्रस्ताव लाया गया था जिसमें संविधान में संशोधन कर ” इंडिया दैट इज भारत ” को संशोधित कर “भारत दैट इज इंडिया ” करने की मांग की गई थी। उस समय भाजपा द्वारा न केवल इस प्रस्ताव का विरोध किया गया बल्कि विरोध में उसने विधानसभा का वहिष्कार कर दिया था।इसी प्रकार 2015 में एक सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर देश का नाम ‘भारत’ करने की मांग की थी। श्री भटवाल के वकील अजय मजीठिया ने कोर्ट में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 1 की व्याख्या संविधान सभा में हुई चर्चा की मंशा को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए जो देश का नाम ‘भारत’ रखना चाहती थी।उस समय सत्ता में आई केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि संविधान का अनुच्छेद 1 को सर्वसम्मति से संविधान सभा में स्वीकृत किया गया था। केन्द्र की भाजपा सरकार ने यह भी कहा था कि संविधान के मूल मसौदे में ‘भारत’ का जिक्र नहीं था और बहस के दौरान संविधान सभा द्वारा ‘ इंडिया दैट इज भारत ‘ को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। इसके बदलाव पर विचार करने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। 10 मार्च 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने उक्त याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जो भारत कहना चाहता है वह भारत कहे और जो इंडिया कहना चाहता है वह ‘इंडिया’ कहे।
श्री गगन ने कहा कि आज परिस्थितियों में कौन सा बदलाव आ गया जो केन्द्र कीभाजपा सरकार द्वारा ‘इंडिया’ को औपनिवेशिक विरासत बताकर अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी परम्परा से हटकर ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ का प्रयोग किया गया है। आज भाजपा को ‘इडिया’ से इतना नफरत क्यों हो गया है । जबकि देश से प्रेम करने वाले हर भारतीयों के लिए ‘इंडिया’ और ‘भारत’ दोनों से प्यार है। दरअसल इंडिया गठबंधन बनने से भाजपा इतनी घबराई हुई है कि उसे अपने देश का नाम लेने में भी डर लग रहा है।