गूगल ने 11 नवंबर के लिए अपना डूडल प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई को समर्पित किया है। उन्होंने बुनकरों और टेक्स्टाइल उद्योग के मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए 1920 में मजूर महाजन संघ की स्थापना की थी जो भारत के टेक्स्टाइल मजदूरों का सबसे बड़ा पुराना यूनियन है।
अनसूया का जन्म 11 नवंबर, 1885 को अहमदाबाद में साराभाई परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम साराभाई और माता का नाम गोदावरीबा था। उनका परिवार काफी संपन्न था क्योंकि उनके पिता उद्योगपति थे। जब वह नौ साल की थीं तो उनके माता-पिता का निधन हो गया। इसके बाद उन्हें, उनके भाई अंबालाल साराभाई और छोटी बहन को एक चाचा के पास रहने के लिए भेज दिया गया। 13 साल की उम्र में उनका बाल विवाह हुआ जो सफल नहीं रहा। अपने भाई की मदद से वह 1912 में मेडिकल की डिग्री लेने के लिए इंग्लैंड चली गईं लेकिन बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में चली गईं।
भारत वापस आने के बाद उन्होंने महिलाओं और समाज के गरीब वर्ग की भलाई के लिए काम किया। उन्होंने एक स्कूल खोला। जब उन्होंने 36 घंटे की शिफ्ट के बाद थककर चूर हो चुकी मिल की महिला मजदूरों को घर लौटते देखा तो उन्होंने मजदूर आंदोलन करने का फैसला लिया।
एक घटना ने अनसूया को द्रवित कर दिया और उन्होंने मजदूरों एवं महिलाओं के कल्याण के लिए लड़ने का फैसला कर लिया। घटना कुछ यूं थी। एक दिन वह घर के बाहर बैठकर बच्चों को कंघी कर रही थीं। उन्होंने 15 महिला मजदूरों के एक समूह को गुजरते देखा जो बिल्कुल बेजान लग रही थीं। उन्होंने उनलोगों को बुलाया और पूछा कि क्या दिक्कत है। क्यों वे लोग बेदम लग रही हैं।
उनलोगों ने अनसूया को अपनी आपबीती सुनाई। उनलोगों ने कहा, ‘बहन हम अभी 36 घंटे काम करके लौट रहे हैं। हमने बगैर किसी ब्रेक के दो रात और एक दिन काम किया है।’ यह सुनकर अनसूया को काफी दुख हुआ। अनसूया ने हालात को बदलने की ठानी।
1914 में जब अहमदाबाद महामारी की चपेट में आ गया तो मिल मजदूरों की हालत बिगड़ने लगी। वे लोग अनसूया के पास मदद की गुहार लेकर पहुंची। उन्होंने मिल मालिकों को चेतावनी दे दी और यहां तक कि अपने भाई अंबालाल के खिलाफ भी हो गईं। अंबालाल उस समय मिल मालिक संघ के अध्यक्ष थे। उन्होंने मजदूरों के लिए बेहतर मजदूरी और काम के घंटे कम करने की मांग की। उनका प्रयास सफल रहा और भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन की नींव पड़ी।
उन्होंने 1914 में अहमदाबाद में हड़ताल के दौरान टेक्स्टाइल मजदूरों को संगठित करने में मदद की। वह 1918 में महीने भर चले हड़ताल में भी शामिल थीं। बुनकर अपनी मजदूरी में 50 फीसदी बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे लेकिन उनको सिर्फ 20 फीसदी बढ़ोतरी दी जा रही थी, जिससे असंतुष्ट होकर बुनकरों ने हड़ताल कर दिया था। इसके बाद गांधी जी ने भी मजदूरों की ओर से हड़ताल करना शुरू कर दिया और अंतत: मजदूरों को 35 फीसदी बढ़ोतरी मिली। इसके बाद 1920 में मजूर महाजन संघ की स्थापना हुई।
अनसूया को लोग प्यार से मोटाबेन कहकर बुलाते थे जिसका गुजराती में मतलब ‘बड़ी बहन’ होता है। अनसूया का निधन 1972 में हुआ।