जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 06 अक्तूबर ::भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियाँ अपनी बिसात बिछाने लगी है। अभी तक सांप्रदायिक धूर्वीकरण का खेल खेला जा रहा था। वहीं बिहार सरकार जातिगत गणना कार्ड खेला है। इस प्रकार देश में सियासत तेज हो गई है । राजद-जदयू की बिहार सरकार इसे मास्टरस्ट्रोक बता रही है वहीं भाजपा का कहना है कि यह आधी-अधूरी रिपोर्ट है। देखा जाय तो मौजूदा समय जब पूरी दुनियां में भारत की छवि निखर रही है तो वहीं विपक्षी पार्टियाँ चुनावी बिसात विछाने में लगी हुई हैं। एक समय में सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशे लागू कर देश में उन्माद फैलाया था। ठीक उसी तरह अब लगता है कि जातीय गणना कर हिन्दू को हिन्दुओं से लड़ाने का कयाश शुरू किया जा रहा है और यह कयाश मात्र भाजपा को अगली बार केन्द्र में सरकार बनाने से रोकना है। बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े जारी करने से विपक्षी दलों को पिछड़े वर्ग के लोगों को लुभावने वादा कर अपनी ओर बोट करने की भरोसा जगा है। जबकि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मात्र 29 दिन में गणना काम पूरा करने के कारण कई घर छूट गए है। लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने आंकड़ों पर सवाल उठाया है और कहा है कि एक जाति विशेष को राजनीतिक लाभ दिलाने कि दृष्टि से आंकड़ों को जहां बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है तो कहीं कई जातियों की आबादी कम दिखाने का प्रयास किया गया है। जदयू प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि धानुक जाति की आबादी का सही आकलन कराकर फिर से रिपोर्ट प्रकाशित करायें। क्योंकि धानुक जाति की आबादी 2.13 प्रतिशत आँकड़े में दिखाया गया है, जो प्रथम दृष्टया सही प्रतीत नहीं होता है।इसको लेकर धानुक जाति के लोग सोशल मीडिया और एनी माध्यमों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे है।आशियाना-दीघा रोड, स्थित अपार्टमेंट, नागेश्वर कॉलोनी स्थित अपार्टमेंट, धीराचक अनिसाबाद स्थित अपार्टमेंट, महेश नगर स्थित अपार्टमेंट, विश्वेशरैया भवन के पीछे पुनाईचक स्थित आवास, कंकड़बाग…….. के स्थानीय लोगों ने बताया कि जातिगत आंकड़ा जो आया है वह संसय पैदा कर रहा है क्योंकि हमलोगों का गणना तो हुआ ही नहीं है। जदयू के महासचिव एवं प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट भाजपा के सफाये का शंखनाद है। गणना रोकने के लिए भाजपा के तमाम हथकंडों को फेल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने जिस तरह से इस काम को सफल बनाया है, इससे यह एकबार फिर साबित कर दिया है कि भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को उनके अलावा कोई और नेस्तनाबूद नहीं कर सकता है। जबकि इस आंकड़े में कायस्थ जाति की गणना को मात्र 0.60 प्रतिशत ही दिखाया गया है, जिससे कायस्थ संगठन जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कान्फ्रेंस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार प्रदेश अध्यक्ष दीपक अभिषेक ने आंकड़े पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कायस्थों की फिर से गणना कराने की मांग किया है। वहीं चंद्रवंशी समाज के साथ हुआ अन्याय के लिए वैश्य चेतना समिति ने जातीय गणना रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। लोजपा (रा) ने भी आंकड़ों को खारिज किया है। हम संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुसहर और भुइयां जो एक ही जाति है लेकिन उनके आंकड़े अलग अलग गणना किए जाने पर सवाल उठाया है। आंकड़ों के हिसाब से नालंदा जिला में कुर्मी, किशनगंज में मुस्लिम, कटिहार में मुस्लिम, पूर्णिया में मुस्लिम, सिवान में मुस्लिम, अररिया में मुस्लिम, लखिसराय में यादव, मधेपुरा में यादव, मधुबनी में यादव, जहानाबाद में यादव, गोपालगंज यादव, औरंगाबाद यादव, पूर्वी चंपारण में यादव, बाँका में यादव, रोहतास में यादव, सीतामढ़ी में यादव, सारण में यादव, शेखपुरा में यादव, सुपौल में यादव, खगड़िया में यादव, सहरसा में यादव, जमुई में यादव, पटना में यादव, गया में मुसहर, अरवल में चमार, भोजपुर में राजपूत, मुजफ्फरपुर में भूमिहार, नवादा में भूमिहार, बेगूसराय में भूमिहार, मुंगेर में भूमिहार, समस्तीपुर में दुसाध, वैशाली में दुसाध, पश्चिम चंपारण में तेली, शिवहर में वैश्य, भागलपुर में धानुक, बक्सर में ब्राह्मण, दरभंगा में ब्राह्मण, कैमुर में चमार की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।आंकड़े आकलन में सूत्रों नेबताया कि यादव की जनसंख्या 14.27 प्रतिशत और जमीन 7.5 प्रतिशत, राजपूत की जनसंख्या 3.45 प्रतिशत और जमीन 19 प्रतिशत, भूमिहार की जनसंख्या 2.87 प्रतिशत और जमीन 39 प्रतिशत, मुस्लिम की जनसंख्या 17 प्रतिशत और जमीन 4.5 प्रतिशत, मुसहर की जनसंख्या 3.9 प्रतिशत और जमीन 0.2 प्रतिशत, तेली की जनसंख्या 2.81 प्रतिशत और जमीन 0.6 प्रतिशत, ब्राह्मण की जनसंख्या 3.66 प्रतिशत और जमीन 16 प्रतिशत, दुसाध की जनसंख्या 5.21 प्रतिशत और जमीन 1 प्रतिशत, बढ़ई की जनसंख्या 1.45 प्रतिशत और जमीन 0.25 प्रतिशत, चन्द्रवंशी की जनसंख्या 1.65 प्रतिशत और जमीन 0.4 प्रतिशत, कायस्थ की जनसंख्या 0.60 प्रतिशत और जमीन 4 प्रतिशत, नाई की जनसंख्या 1.59 प्रतिशत और जमीन 0.3 प्रतिशत, मल्लाह की जनसंख्या 2.61 प्रतिशत और जमीन 0.4 प्रतिशत, कुशवाहा की जनसंख्या 4.21 प्रतिशत और जमीन 2 प्रतिशत, कुर्मी की जनसंख्या 2.88 प्रतिशत और जमीन 2 प्रतिशत, चमार की जनसंख्या 5.26 प्रतिशत और जमीन 0.5 प्रतिशत, बनिया की जनसंख्या 2.32 प्रतिशत और जमीन 1 प्रतिशत, नोनिया की जनसंख्या 1.91 प्रतिशत और जमीन 0.4 प्रतिशत, कुशवाहा की जनसंख्या 4.21 प्रतिशत और जमीन 2 प्रतिशत, कानू की जनसंख्या 2.21 प्रतिशत और जमीन 0.3 प्रतिशत, धानुक की जनसंख्या 2.14 प्रतिशत और जमीन 0.4 प्रतिशत दिखता है।जातिगत साक्षरता में सूत्रों केअनुसार, ब्राह्मण 99 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 79 प्रतिशत और स्नातक 61 प्रतिशत है, वहीं भूमिहार 97 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 82 प्रतिशत और स्नातक 65 प्रतिशत, यादव 58 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 28 प्रतिशत और स्नातक 14 प्रतिशत, कायस्थ 95 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 76 प्रतिशत और स्नातक 51 प्रतिशत, राजपूत 92 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 71 प्रतिशत और स्नातक 61 प्रतिशत, मुस्लिम 61 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 38 प्रतिशत और स्नातक 21 प्रतिशत, मुसहर 18 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 6 प्रतिशत और स्नातक 2 प्रतिशत, चमार 21 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 11 प्रतिशत और स्नातक 6 प्रतिशत, दुसाध 39 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 15 प्रतिशत और स्नातक 7 प्रतिशत, कुशवाहा 74 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 47 प्रतिशत और स्नातक 30 प्रतिशत, तेली 61 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 32 प्रतिशत और स्नातक 14 प्रतिशत, कुर्मी 76 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 52 प्रतिशत और स्नातक 37 प्रतिशत, कानू 41 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 18 प्रतिशत और स्नातक 9 प्रतिशत, बनिया 79 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 51 प्रतिशत और स्नातक 39 प्रतिशत, नाई 44 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 17 प्रतिशत और स्नातक 8 प्रतिशत, बढ़ई 48 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 21 प्रतिशत और स्नातक 9 प्रतिशत, धुनिया 51 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 21 प्रतिशत और स्नातक 11 प्रतिशत, चन्द्रवंशी 59 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 31 प्रतिशत और स्नातक 22 प्रतिशत, पनवारी 62 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 38 प्रतिशत और स्नातक 26 प्रतिशत, नोनिया 58 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 28 प्रतिशत और स्नातक 14 प्रतिशत, धानुक 54 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 21 प्रतिशत और स्नातक 9 प्रतिशत, मल्लाह 42 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 17 प्रतिशत और स्नातक 8 प्रतिशत, गोस्वामी 59 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 31 प्रतिशत और स्नातक 18 प्रतिशत, केवट 52 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 28 प्रतिशत और स्नातक 12 प्रतिशत, गंगोटा 58 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 29 प्रतिशत और स्नातक 18 प्रतिशत, प्रजापति 51 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 21 प्रतिशत और स्नातक 11 प्रतिशत, चन्द्रवंशी 59 प्रतिशत है जिसमें इंटर पास 31 प्रतिशत और स्नातक 22 प्रतिशत है।उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही गणना की मांग समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस कर रही है और धीरे धीरे केन्द्र सरकार पर पूरे देश में जातिगत गणना की माँग मुखर होने की संभावनाएं है।
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