प्रियंका भारद्वाज / केंद्र सरकार को पूंजीपतियों का हितैषी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि अमेरिकी मार्केटिंग एनालिसिस फर्म मर्सेलस इंवेस्टमेंट मैनेजर्स की हालिया रिपोर्ट देश में छायी आर्थिक असमानता की भयावह तस्वीर पेश कर रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अमीरों की दौलत में जहां 16 गुना बढ़ोतरी हुई है वहीं गरीबों के पैसे महज 1.4% बढ़े हैं. यानी अमीर जहां और अमीर होते जा रहे हैं वहीं गरीबों का हाल जस का तस है.उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक आज देश की 80% दौलत सिर्फ 2 लाख परिवारों के पास है. वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक विकास से आया 80% धन सिर्फ 20 कंपनियों के खाते में जा रहा है. निफ्टी में 10 साल में कुल 116 लाख करोड़ रुपए की पूंजी बनी है जिसका 80% सिर्फ 20 कंपनियां के खातों में गया है. यह दिखाता है कि मोदी सरकार पर पूंजीपतियों का हित साधने के लगने वाले आरोप शत प्रतिशत सही हैं. भाजपा को बताना चाहिए कि उनका तथाकथित विकास अमीरों की दहलीज पर क्यों रुका हुआ है? जदयू महासचिव ने कहा कि हकीकत में यह रिपोर्ट मोदी सरकार विकास के दावों की पोल खोल देती है. यह दिखाता है कि मोदी सरकार के 10 वर्षों में किस तरह आम जनता के हितों को ताक पर रख कर किस तरह कुछ ख़ास पूंजीपतियों को तवज्जो दी गयी है. उन्होंने कहा कि इस आर्थिक असमानता से सबसे अधिक नुकसान अतिपिछड़ा समाज का ही हो रहा है. बिहार और ओड़िसा के जातिगत गणना के आंकड़ों से यह साफ़ है कि अतिपिछड़ा समाज की संख्या सर्वाधिक है. इससे पता चलता है कि देश में फैली आर्थिक असमानता का दंश सबसे अधिक इसी समाज को झेलना पड़ रहा है. यह दिखाता है कि केंद्र सरकार अतिपिछड़ों के बजाए पूंजीपतियों की हितैषी है. केंद्र सरकार से जातिगत गणना करवाने की मांग करते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि अतिपिछड़ा समाज का कल्याण करने के लिए इनकी वास्तविक संख्या जाननी बेहद जरूरी है. तभी उन्हें लक्षित करके योजनायें बनाई जा सकती हैं. इसलिए केंद्र सरकार को बिना देर किये पूरे देश भर जातिगत गणना करवानी चाहिए.