Kaushlendra Pandey /नई दिल्ली ब्यूरो : केंद्र सरकार को अतिपिछड़ा विरोधी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि बिहार और ओड़िसा में हुई जातिगत गणनाओं से यह साफ़ हो गया है कि अतिपिछड़ा समाज की संख्या देश में सर्वाधिक है. अगर राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना करवाई जाए तो अतिपिछड़ा समाज देश की आधी आबादी से भी अधिक हो सकता है. इतनी बड़ी आबादी को महज कुछ प्रतिशत आरक्षण देना ऊंट के मुंह में जीरे के सामान है. उन्होंने कहा कि यह किसी से छिपा नहीं है कि सर्वाधिक संख्या होने के बावजूद केंद्र सरकार अतिपिछड़ा समाज को अलग से आरक्षण नहीं देती. यही वजह है कि अतिपिछड़ा समाज के अधिकांश लोग अभी भी विकास के तमाम मापदन्डों पर हाशिए पर खड़े हैं. इस समाज की बड़ी संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार को बिहार की तरह इन्हें हर हाल में अलग से आरक्षण देना चाहिए. यह काम बिना राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत गणना करवाए बिना नहीं हो सकता है. यही वजह है कि बार-बार मांग करने के बाद भी केंद्र सरकार के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही. बेफिजूल के मुद्दों पर भी बयान बहादुर बनने वाले उनके सारे प्रमुख नेता केवल अतिपिछड़ों का विकास रोकने के लिए ही इस अत्यंत जरूरी विषय पर मुंह सिले बैठे हैं. जदयू महासचिव ने कहा कि वास्तव में केंद्र में बैठे भाजपा के नेता यह जानते हैं कि जातिगत गणना के बाद अतिपिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग ज़ोर पकड़ने लगेगी. उन्हें पता है कि इसके बाद अतिपिछड़ों को बरगलाना मुश्किल हो जाएगा. जिन अतिपिछड़ों को यह आज तक अपना गुलाम समझते आये हैं वह जातिगत गणना के बाद भाजपा के संगठन और उसके नेतृत्व में चल रही सरकारों में भी अपने वाजिब हक की मांग बुलंद करने लगेंगे. इसके अतिरिक्त इन्हें पता है कि गणना के बाद भाजपा पर अतिपिछड़ों के लिए विशेष योजनायें चलाने का भी दबाव पड़ेगा. अतिपिछड़ा विरोधी भाजपा भला यह कैसे करवा सकती है. इसीलिए यह लोग जातिगत गणना नहीं करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ों के विरोध में ही भाजपा ने बिहार में हुई जातिगत गणना को रोकने का भरपूर प्रयास किया था. लेकिन नीतीश सरकार ने अतिपिछड़ों के प्रति अपनी प्रतिबद्धिता के तहत इसे करवा कर ही चैन लिया. भाजपा यह जान ले जातिगत गणना पर मौन रहना उसे आने वाले समय में काफी भारी पड़ने वाला है.