48 घंटे की ऊहापोह के बाद पद्मावती फिल्म को लेकर सबसे अहम फैसला सामने आया है। यह फिल्म अब एक दिसंबर को रिलीज नहीं होने जा रही है। अब इसके गुजरात चुनाव के बाद सिनेमाघरों में आने के आसार हैं। फिल्म की रिलीज स्थगित करने की घोषणा वायकॉम 18 कंपनी ने की, जो इस फिल्म की पार्टनर है। कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में पद्मावती की रिलीज टालने की घोषणा की। लेकिन, नई तारीख के बारे में कुछ नहीं कहा। इस बयान में कहा गया कि कंपनी स्वेच्छा से प्रदर्शन की तारीख बदल रही है। सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद नई तारीख तय होगी।
अब यह लगभग तय हो गया है कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव से पहले पद्मावती परदे पर नहीं आएगी। इस बीच चुनावों के बाद करणी सेना और फिल्म का विरोध कर रहे दूसरे गुटों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नकेल डालने का काम पूरा हो जाएगा। इस अहम घोषणा ने एक तरह से हर पक्ष को राहत पहुंचाई है। सेंसर बोर्ड से लेकर केंद्र सरकार और फिल्म के विरोध में उतरे सभी गुट इसे अपनी पहली जीत के तौर पर देख सकते हैं।
वायकॉम 18 और भंसाली की टीमें 24 घंटे पहले तक ताल ठोक रही थीं कि रिलीज डेट किसी भी कीमत पर नहीं बदलेगी। दूसरी तरफ सेंसर बोर्ड की तरफ से लगभग साफ हो गया था कि बोर्ड इस फिल्म को पास करने के लिए कोई मेहरबानी देने के मूड में नहीं है। कुछ महीनों पहले ही केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी के तीखे तेवरों ने बता दिया था कि निजी स्क्रीनिंग करने को वे हल्के में नहीं ले रहे। उनकी नाराजगी ने ही यह तय कर दिया था कि सेंसर बोर्ड इस फिल्म को एक दिसंबर को रिलीज नहीं होने देगा। यह भी लगभग माना जा रहा था कि सेंसर बोर्ड और केंद्र सरकार इस मामले पर मिल-जुलकर काम कर रही थी। सरकार ने वायकॉम 18 को भी संयम बरतने को कहा था।
यह भी साफ हो चला था कि जिस तरह से भंसाली और दीपिका को धमकियां देने वालों के प्रति सरकारी मशीनरी नरमी बरत रही थी, उसने भंसाली को घेरने की रणनीति को सफल बना दिया। भंसाली के नाम पर राजपूत वोटों के ध्रुवीकरण को गुजरात विधानसभा चुनाव और आने वाले यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव के लिए इस्तेमाल करने का प्लेटफार्म भी तैयार हो गया।