CIN /बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी, पटना द्वारा आयोजित अमृत काल का ग़ज़ल उत्सव का उद्घाटन भोजपुरी के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार और भूपेन्द्र नारायण विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) रिपुसूदन श्रीवास्तव ने बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन,पटना में किया | उन्होंने साहित्य और संस्कृति से जुड़े इस तरह के आयोजनों की महत्ता पर प्रकाश डाला | जस्टिस मृदुला मिश्रा,पूर्व वाइस चांसलर, चाणक्य विधि राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, पटना मुख्य अतिथि ने ग़ज़ल की स्वीकार्यता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों में आकर अच्छा लगता है | श्री इम्तियाज़ अहमद करीमी,सदस्य, बिहार लोक सेवा आयोग ने ‘अमृत काल का ग़ज़ल उत्सव’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्री रमेश ‘कँवल’ अपने उस्ताद मरहूम हफ़ीज़ बनारसी की याद ऐसे कार्यक्रम करते हुए ग़ज़ल की ज़ुल्फ़ें सँवारने में व्यस्त रहते हैं | डॉ. अनिल सुलभ, अध्यक्ष, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन,पटना, ने कहा कि सम्मेलन में उर्दू हिन्दी दोनों जुबान में आयोजित कार्यक्रम किए जाते हैं | अगले महीने ही शाद अज़ीमाबादी अदबी फोरम में प्रो. एहसान शाम के शे’री मजमुआ “रेयाज़-ए-फ़िक्र” का लोकार्पण यहाँ होने वाला है | डॉ. अख्तर मसूद, बनारस ने बताया कि पटना आकर पिताजी की यादें ताज़ा हो जाती हैं | इस शहर के लोग हफ़ीज़ बनारसी की याद में इतना शानदार आयोजन करते हैं जिसकी कोई मिसाल नहीं | उन्होंने रमेश ‘कँवल’ का बेहद शुक्रिया अदा किया और कहा कि शागिर्दी का फ़र्ज़ अदा करना कोई इनसे सीखे |देश के जाने माने ग़ज़लकार श्री राजमूर्ति सौरभ विशिष्ट अतिथि को ग़ज़ल श्री पुरस्कार प्रदान किया गया जिसमे अंगवस्त्रम ,मोमेंटों और सनद के अलावा 5000/- पाँच हजार रुपये की नक़द राशि भी दी गई |जाने माने कथाकार जनाब फ़खरुद्दीन आरफ़ी ने ग़ज़ल की आबरू की हिफ़ाज़त करने में हफ़ीज़ बनारसी के योगदान का उल्लेख किया | अमृत काल का ग़ज़ल उत्सव में रमेश ‘कँवल’ द्वारा संकलित, संपादित और प्रस्तुत ५ किताबों और दिल्ली से पधारे शायर श्री कालजयी घनश्याम का ग़ज़ल संग्रह “उत्सव का दालान” का लोकार्पण किया गया१. स्वतंत्रता के ७५ वें साल में ७५ रदीफों में कही गईं लगभग ६०० ग़ज़लों का संग्रह “अमृत महोत्सव की ग़ज़लें” २. माँ सरस्वती, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, भगवान शिव, भगवान राम, भगवान श्री कृष्ण,भगवान बलराम , माँ दुर्गा एवं माँ की स्तुति वंदन में रचित कविताओं का संग्रह “वंदन ! शुभ अभिवंदन !!”3. हफ़ीज़ बनारसी की ग़ज़लों का देवनागरी लिपि में संग्रह “आज फूलों में ताज़गी कम है” और “क्या सुनाएं हाले-दिल”४. एक रुकन पर कही गई ग़ज़लों का संग्रह “एक रुकनी अनूठी ग़ज़लें”५. दिल्ली के शायर कालजयी घनश्याम का ग़ज़ल संग्रह”उत्सव का दालान” इस अवसर पर अमृत काल का ग़ज़ल उत्सव नाम से एक ई-बुक का लोकार्पण भी किया गया | अमृत काल का ग़ज़ल उत्सव में कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन हुआ | कवि सम्मेलन का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया |आराधना प्रसाद ने महामृत्युंजय मंत्र जाप और एक श्लोकी रामायण का पाठ किया | रमेश ‘कँवल सृजित सरस्वती वंदना और अरुण कुमार ‘आर्य’ रचित हम्द – ईश स्तुति के पश्चात कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ | कवियों में राजमूर्ति सौरभ, प्रतापगढ़, डॉ. गोरख प्रसाद मस्ताना, बेतिया, कालजयी घनश्याम दिल्ली, खगड़िया से शिव कुमार सुमन, , विकास कुमार विधाता, साधना भगत, लखीसराय से राजेंद्र राज, गया , पूर्णिया से डॉ. के. के. चौधरी ‘वियोगी’ , सासाराम से शकील सह्सरामी, के अलावा पटना से अरुण कुमार ‘आर्य’, कुमार पंकजेश, नसीम अख्तर,समीर परिमल , शुभ चन्द्र सिन्हा, डॉ. नसर आलम नसर, डॉ. (प्रो.) सुधा सिंहा, ज्योति मिश्रा डॉ. पूनम सिन्हा श्रेयसी, तलअत परवीन , राज कांता राज, आराधना प्रसाद , अनीता सिद्धि मिश्रा डॉ. पंकजवासिनी ,अंकेश कुमार , श्वेता ग़ज़ल और डॉ. अलका वर्मा ने ग़ज़ल पाठ कर ग़ज़ल उत्सव में चार चाँद लगा दिए | सभी कवि एवं कवयित्रियों को अंगवस्त्रम,मोमेंटों और सनद दे कर हौसला अफ़ज़ाई की गई |शुभ चंद्र सिन्हा,ज्योति मिश्रा और मो. नसीम ने रोचक अंदाज में मंच संचालन किया|बज़्मे-हफ़ीज़ बनारसी,पटना के चेयर पर्सन और पटना के पूर्व एडीम ला एण्ड ऑर्डर,रमेश ‘कँवल’ ने शहर के सभी ग़ज़ल प्रेमियों को इस ग़ज़ल उत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए आभार प्रकट किया |