पटना, २ दिसम्बर। भारत के प्रथम राष्ट्रपति और सवतंत्रता-संग्राम के अमर सेनानी देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद की देश-सेवा से किसी भी अर्थ में कम नहीं है, उनकी हिन्दी-सेवा। वे सम्मेलन संस्थापकों में से एक थे। सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे और सम्मेलन के ‘हिन्दी-प्रचारक’ के रूप में दक्षिण भारत की अनेक यात्राएँ की। उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में सम्मेलन के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया था,
जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने की थी।यह बातें, शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-सह-पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने जयंती पर गीतिधारा के यशस्वी कवि पं विंध्यवासिनी दत्त त्रिपाठी को भी श्रद्धापूर्वक स्मरण किया तथा उन्हें छंद का तपस्वी-साधक बताया।इस अवसर पर विदुषी कवयित्री ऋता शेखर ‘मधु’ की चार पुस्तकों ‘इन्द्रधनुष’, ‘छन के आया छन्न पकैया’, ‘ऐ सखी! मैं ना झूठ बोल्या’ तथा’मृणाल का बदला’ का लोकार्पण वरिष्ठ कवि और बिहार के पूर्व गृह-सचिव जियालाल आर्य ने किया। उन्होंने कहा कि साहित्य, संगीत और कला वो विधाएँ हैं, जिनके विना जीवन अधूरा होता है। कवयित्री ऋता जी ने साहित्य में छंद के महत्त्व को समझा है। दोहा, कुंडलिया आदि छंदों में ये अधिकार पूर्वक लिख रही हैं।कृतज्ञता-ज्ञापित करते हुए कवयित्री ऋता शेखर ने कहा कि उन्होंने ‘इंद्रधनुष’ के रूप में सभी नौ रसों में एक साथ छंद लिखने की चेष्टा की है। लेखन के क्रम में उनके मन में सदा यह आग्रह रहता है कि रचनाओं से कुछ नयी जानकारी भी मिलनी चाहिए। ‘ऐ सखी! मैं ना झूठ बोल्या’ १९ कवयित्रियों की रचनाओं का संकलन है, जिसका संपादन उन्होंने किया है। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, रवि रंजन, प्रो सुशील कुमार झा तथा डा मनोज गोवर्द्धनपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा पुष्पा जमुआर, कुमार अनुपम, डा प्रतिभा रानी, जय प्रकाश पुजारी, अर्जुन प्रसाद सिंह, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।मंच का संचालन कुमार कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। समारोह में, डा मनोज कुमार मिश्र, प्रो राम ईश्वर पण्डित, उषा रंजन, आकांक्षा मधु, शिशिर शेखर, रूपा माधव, अमीर नाथ शर्मा, धनंजय कुमार मिश्र, हर्षा रानी, नन्दन कुमार मीत, दुःखदमन सिंह, अमित कुमार सिंह, सुकेश कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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