चुनाव प्रक्रिया में शपथ पत्र से पैगंबर मुहम्मद का जिक्र हटाए जाने से भड़के कट्टरपंथी आंदोलनकारियों का विरोध राजधानी इस्लामाबाद के अतिरिक्त कराची, लाहौर और रावलपिंडी समेत कई शहरों में पहुंच गया है। रविवार को भी कई स्थानों पर आंदोलनकारियों और सुरक्षा बल के जवानों के बीच टकराव हुआ, कई वाहन जलाए गए।
आंदोलन के दौरान छह लोगों की मौत हो गई है जबकि 200 से ज्यादा घायल हैं। शनिवार को सरकार द्वारा सेना को हालात संभालने का आदेश दिए जाने के बावजूद कोई भी सैनिक उपद्रवग्रस्त इलाकों में दिखाई नहीं दिया। सरकार के आदेश पर सेना के प्रेस विभाग ने भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। हालांकि, महत्वपूर्ण इमारतों और संवेदनशील इलाकों में सैनिकों ने जिम्मेदारी संभाल ली है। इस बीच, निजी न्यूज चैनलों का प्रसारण बहाल कर दिया गया है। लेकिन, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइटें अभी भी ब्लॉक हैं।
आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस ने अर्धसैनिक बल रेंजर्स और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी की मदद से अभियान छेड़ा हुआ है। सुरक्षा बलों के निशाने पर तहरीक-ए-खतम-ए-नबुव्वत, तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह और सुन्नी तहरीक पाकिस्तान संगठन हैं। ये संगठन इस्लामाबाद का एक प्रमुख हाईवे पिछले तीन हफ्ते से रोके हुए हैं। शनिवार को हाईवे पर से धरना खत्म कराने के लिए बल प्रयोग किया और आंसू गैस व रबर की गोलियां दागीं। लेकिन, जब हालात बेकाबू हो गए तो सुरक्षा बलों को पीछे हटना पड़ा। यहां पर आंदोलनकारियों और सुरक्षा बलों की ¨हसक झड़प में छह लोग मारे गए हैं और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं। घायलों में 95 सुरक्षा बलों के जवान हैं। कराची में 35 लोगों के घायल होने की खबर है। इस्लामाबाद सहित कई शहरों में हाईवे पर आंदोलनकारियों ने कब्जा कर रखा है।
प्रधानमंत्री ने की हालात की समीक्षा
प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने देश की वर्तमान सुरक्षा स्थिति पर रविवार को एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट नवीद मुख्तियार, आंतरिक मंत्री अहसन इकबाल और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने हिस्सा लिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक में विरोध प्रदर्शनों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए एक और प्रयास करने का फैसला लिया गया। इसी बैठक में निजी चैनलों का प्रसारण बहाल करने का भी निर्णय लिया गया। इससे पहले शनिवार रात आंतरिक मंत्री अहसन इकबाल ने हालात की गंभीरता को देखते हुए इस्लामाबाद में सेना की तैनाती के आदेश दिए थे। वहीं, हालात की गंभीरता को देखते हुए जनरल बाजवा भी संयुक्त अरब अमीरात का अपना दौरा बीच में छोड़कर पाकिस्तान लौट आए थे। इस्लामाबाद और पंजाब प्रांत के सभी स्कूल-कॉलेज दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं।
आंदोलनकारी कानून मंत्री को हटाने की मांग पर अड़े
आंदोलनकारी चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा दिए जाने वाले हलफनामे से पैगंबर मुहम्मद का जिक्र हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं। आंदोलनकारी मामले को ईश निंदा से जोड़कर देख रहे हैं। आंदोलनकारी कानून में बदलाव के लिए कानून मंत्री जाहिद हामिद को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि सरकार ने कानून बदलकर हलफनामे की पूर्व स्थिति बहाल कर दी है, लेकिन आंदोलनकारी कानून मंत्री को हटाने की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।