पटना ब्यूरो , ६ दिसम्बर। दिव्यांग व्यक्तियों और विशेष-बच्चों के सम्यक् पुनर्वास और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़े जाने के लिए आवश्यक है कि, भारत सरकार एवं अन्य प्रांतीय सरकारों की भाँति, बिहार में भी एक अलग से ‘दिव्यांगता पुनर्वास विभाग’ सृजित किया जाना चाहिए। अलग से मंत्री, प्रधान सचिव एवं अन्य अधिकारी होने से इस विषय पर गम्भीरता से कार्य हो सकेंगे।यह विचार बुधवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च द्वारा विगत २ दिसम्बर से शुरू पाँच दिवसीय विश्व विकलांग दिवस समारोह के समापन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक बड़ी आबादी किसी न किसी प्रकार की विकलांगता की शिकार है। यदि इन्हें समाज की मुख्य-धारा से नहीं जोड़ा गया तो वे समाज पर बोझ बने रहेंगे।दूसरी ओर यदि इनका पुनर्वास कर इन्हें सक्षम बना दिया गया, जो संभव है, तो ये समाज में बोझ नहीं बल्कि कुछ देने लायक बन जाएंगे।समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि दिव्यांग-जनों के प्रति आज सारा विश्व चिंतित और जागरूक है। किंतु शारीरिक-रुप से विकलांगजनों को स्वयं को मज़बूत करने पर भी विचार करना चाहिए। सहायता प्राप्त करने में कोई बुराई नहीं, पर उस पर निर्भर होना बुरा है। मन से विकलांगता को दूर करें और सशक्त बनें।विशेष शिक्षिका हेमंत देवी, विशेष शिक्षक अमर श्रीवास्तव, डा नवनीत कुमार, आभास कुमार, प्रो आदित्य ओझा, प्रो देवराज कुमार तथा प्रिया कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन शकीलूर्रहमान ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के प्रशासी पदाधिकारी सूबेदार संजय कुमार ने किया।इस अवसर पर, विगत दिनों विशेष-बच्चों के बीच संपन्न हुई, खेलकूद, संगीत और नृत्य की प्रतियोगिताओं के सफल, विशेष-बच्चों को पुरस्कृत किया गया। बौल थ्रो इन बकेट प्रतियोगिता के लिए, यशनील,सौरभ तथा आरुषि सोनी को क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक, स्केटिंग प्रतियोगिता के लिए, आद्या,शालिनी तथा उर्विजा को क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक, बैलून-ब्लास्ट प्रतियोगिता के लिए, गुलशन,जतीन तथा रोहन को क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक, चौकलेट-रेस प्रतियोगिता के लिए, सुदिति,वैष्णवी तथा अनोखी को क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक तथा नृत्य-प्रतियोगिता के लिए वैष्णवी और रोहन को स्वर्ण और रजत पदक दिया गया।