CIN ब्यूरो /संसद की अवहेलना लोकतंत्र पर आसन्न संकट की चेतावनी है. संसद में प्रतिपक्ष की जगह ख़ाली होती जा रही है. राज्य सभा के 45 और लोकसभा के 33 सदस्य यानी कुल मिलाकर 78 सांसद संसद से निलंबित हैं. यानी ये सभी सांसद के रूप में अपनी भूमिका निभाने से वंचित कर दिये गये हैं. 11 सांसदों का मामला विशेषाधिकार समिति में को सौंपा गया है. समिति विचार करेगी इनमें सांसद बने रहने की लायकियत है या नहीं.इन्हें क्यों निलंबित किया गया है ! इनका कहना है कि अभी पिछले दिनों संसद भवन के अंदर जिस प्रकार दो युवा सदन की चलती कार्रवाई के बीच कूद गए थे यह संसद की सुरक्षा में भयंकर चुक है. गृहमंत्री संसद में इस घटना पर बयान दें और संसद में उस पर विस्तार से चर्चा हो. क्या यह माँग करना अपराध है !संसद देश की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की संस्था है. प्रतिनिधियों का बहुमत सत्ता पक्ष है. अल्पमत विपक्ष है. जनता की ओर से सरकार से सवाल पूछना ही विपक्ष का लोकतांत्रिक धर्म है. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके वहाँ बैठे रहने का औचित्य ही क्या है !
जब सत्ता पक्ष संसद की सुरक्षा जैसे अति महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले में सदन में चरचा करना आवश्यक नहीं मानता अर्थात् वह संसद के प्रति अपने को जवाबदेह नहीं समझता है. सरकार की यह मानसिकता देश में लोकतंत्रके भविष्य पर आसन्न गंभीर संकट की चेतावनी है.