CIN -शिवहर, २२ दिसम्बर। ज़िला समाहरणालय के विस्तृत प्रांगण में, आधुनिक शिवहर के निर्माता और दशाबदियों तक बिहार की राजनीति में धुरी बने रहे राजनेता पं रघुनाथ झा की नव-स्थापित प्रतिमा, आनेवाली पीढ़ियों को उनके महान अवदान की कथा सुनाती रहेगी। यह प्रतिमा न केवल उनकी कीर्ति को अमर करेगी अपितु भविष्य के कर्णधारों को प्रेरणा देती रहेगी।देश की अग्र-गण्य साहित्यिक संस्था बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा पं झा के ज्येष्ठ-भ्राता स्व बैद्यनाथ झा के पुत्र डा अनिल सुलभ ने मूर्ति पर माल्यार्पण के पश्चात अपने उद्गार में ये बातें कहीं। उन्होंने मूर्ति की स्थापना के लिए ज़िला प्रशासन के प्रति ‘झा-परिवार’ की ओर से आभार भी प्रकट किया और कहा कि उन्हें खेद है कि वे समय पर सूचना नहीं मिल पाने के कारण गत १३ दिसम्बर को संपन्न हुए, मूर्ति-अनावरण-समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज़िला-प्रशासन की ओर से प्रति-वर्ष, पं झा की जयंती और पुण्य-तिथि पर समारोह आयोजित किए जाएंगे।डा सुलभ ने शिवहर ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित बैठक में भी भाग लिया तथा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा आगामी २९ से ३१ मार्च तक आहूत तीन दिवसीय ४३वें महाधिवेशन के संबंध में भी जानकारी दी तथा शिवहर के तीन साहित्यकारों का नाम सम्मान हेतु प्रस्तावित करने का आग्रह किया।ज़िला सम्मेलन के संरक्षक गिरीशनंदन सिंह के आवासीय परिसर में, ‘साहित्य में शिवहर का अवदान’ विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में डा सुलभ ने कहा कि हिन्दी भाषा और साहित्य के उन्नयन में शिवहर के साहित्यिकों का महत्त्वपूर्ण अवदान रहा है, किंतु इस विषय में अपेक्षित चर्चा इतिहास में नहीं है। इस हेतु ज़िले के साहित्यिकों को जागरूक होना होगा और साक्ष्य एवं तथ्य के साथ इतिहास लेखन करना होगा।ज़िलाश्री प्रशांत की अध्यक्षता में संपन्न हुई विचार-गोष्ठी में, ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री देशबंधु शर्मा, अजबलाल चौधरी, मुरलीधर श्रीवास्तव, मोहन फतेहपुरी, हरिकांत सिंह, शंकर सिंह पहाड़पुरी, पंकज कुमार, शम्भु पहाड़पुरी, संजय गुप्त, सुनील गिरि, प्रह्लाद मिश्र,मनोज कुमार झा, हरीश नन्दन सिंह, आलोक कुमार सिंह, आदि हिन्दी सेवी एवं हिन्दी-प्रेमी उपस्थित थे।
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