नरेंद्र मोदी की तरफ से राहुल गांधी के बारे में दिए गए बयान का जवाब देकर मणिशंकर अय्यर गुरुवार को विवादों में आ गए। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए ‘नीच’ शब्द का इस्तेमाल कर दिया। अय्यर ने कहा, ‘‘मुझको ये आदमी बहुत नीच किस्म का लगता है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है। ऐसे मौके पर इस तरह की गंदी राजनीति की क्या आवश्यकता है?’’ उनके इस बयान पर विवाद बढ़ा तो राहुल गांधी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट हुआ। इसमें कहा गया कि हम उम्मीद करते हैं कि अय्यर इस भाषा के लिए माफी मांगेंगे। इसके बाद अय्यर एक बार फिर मीडिया के सामने आए। कहा, ‘‘मैं हिंदी भाषी नहीं हूं। अगर नीच शब्द का कोई दूसरा अर्थ निकलता है तो मैं माफी चाहता हूं।’’
नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के बारे में क्या कहा था?
– नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर का इनॉगरेशन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, “हमें स्वीकारना होगा कि हम बाबा साहब के सपनों को पूरा नहीं कर पाए। आज की पीढ़ी में वो क्षमता है जो सामाजिक बुराइयों को खत्म कर सकती है। ये देश जाति के नाम पर बंटकर वैसा आगे नहीं बढ़ पाएगा, जैसा उसे बढ़ना चाहिए।”
– इस मौके पर मोदी ने कांग्रेस के साथ राहुल गांधी के मंदिर जाने पर भी तंज कसा। राहुल का नाम लिए बगैर कहा कि जो राजनीतिक दल बाबा साहब का नाम लेकर राजनीति करते हैं, उन्हें अब बाबा साहब नहीं, बाबा भोले ज्यादा याद आ रहे हैं।”
मोदी के बयान पर मणिशंकर अय्यर क्या कहकर विवादों में आ गए?
– मणिशंकर अय्यर ने कहा, “जो अंबेडकरजी की सबसे बड़ी ख्वाहिश थी, उसे साकार करने में एक व्यक्ति सबसे बड़ा योगदान था। उनका नाम था जवाहर लाल नेहरू। अब इस परिवार के बारे में ऐसी गंदी बातें करें, वो भी ऐसे मौके पर जब अंबेडकरजी की याद में बहुत बड़ी इमारत का उद्घाटन किया गया। मुझे लगता है कि ये आदमी बहुत नीच किस्म का है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है। ऐसे मौके पर इस प्रकार की गंदी राजनीति की क्या आवश्यकता है।”
कुछ ही देर में मोदी की रैली हुई, अय्यर को उन्होंने क्या जवाब दिया?
– अय्यर का बयान सामने आने के कुछ ही देर बाद सूरत के लिंबायत में मोदी ने रैली की। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीमान मणिशंकर अय्यर ने आज कहा कि मोदी नीच है। मोदी नीच जाति का है। क्या यही भारत की महान परंपरा है? ये गुजरात का अपमान है। मुझे तो मौत का सौदागर तक कहा जा चुका है। गुजरात की संतानें प्रधानमंत्री के अपमान का जवाब देंगी। वे इस तरह की भाषा का तब जवाब देंगी, जब चुनाव के दौरान कमल का बटन दबेगा। मुझे भले ही नीच कहा है। लेकिन आप लोग अपनी गरिमा मत छोड़िएगा।’’
राहुल गांधी ने क्या ट्वीट किया?
– राहुल गांधी के ऑफिशियल हैंडल @OfficeOfRG से ट्वीट किया गया, ”बीजेपी और प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाने के लिए लगातार खराब भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कांग्रेस का कल्चर और हेरिटेज अलग है। मैं प्रधानमंत्री के बारे में मणिशंकर अय्यर की तरफ से इस्तेमाल की गई भाषा और लहजे को मंजूर नहीं करता। कांग्रेस और मैं यह उम्मीद करते हैं कि अय्यर ने जो कहा है, उसके लिए वो माफी मांगें।”
राहुल के ट्वीट के बाद अय्यर ने माफी मांगी
– मीडिया के सामने आए अय्यर ने कहा- मैं हिंदी भाषी नहीं हूं। मैं अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करता हूं। मैंने Low का तर्जुमा नीच के रूप में किया। अगर नीच का कोई दूसरा अर्थ निकलता है, तो मैं माफी चाहता हूं। मुझे हिंदी का उतना ज्ञान नहीं है। जैसे लायक और नालायक को मैं विरोधाभासी शब्द मानता था। मैंने एक बार वाजपेयीजी के बारे में कहा था कि वाजपेयी लायक व्यक्ति हैं लेकिन नालायक प्रधानमंत्री हैं। इस पर विवाद हुआ तो मुझे बताया गया कि ये विरोधीभासी शब्द नहीं हैं। इनके अलग-अलग मतलब हैं।
अय्यर ने ही 2014 में ‘चायवाला’ विवाद शुरू किया था
– 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान अय्यर ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने पीएम कैंडिडेट को चायवाला बताकर मजाक उड़ाया था। उन्होंने कहा था, “21वीं सदी में नरेंद्र मोदी कभी भी देश के प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे। यहां आकर चाय बांटना चाहें तो हम उनके लिए जगह दे सकते हैं।”
– अय्यर के इस बयान के बाद बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन की दिशा बदल गई थी। नरेंद्र मोदी ने भी अपनी रैलियों में खुद के चायवाला होने का मुद्दा खूब भुनाया था।
नीच शब्द को लेकर राजनीति शुरू होने का यह पहला मौका नहीं
– 2014 के ही लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने एक बार अमेठी में रैली की थी। इसके बाद प्रियंका गांधी ने प्रचार के दौरान कहा था कि अमेठी में मेरे शहीद पिता का अपमान हुआ है। ऐसी नीच राजनीति करने वालों को अमेठी का हर बूथ जवाब देगा। प्रियंका के इस बयान पर मोदी ने कहा था- नीच जाति में पैदा होना गुनाह है क्या?
नीच शब्द का क्या असर हुआ?
– मोदी-प्रियंका के बीच हुई इस कॉन्ट्रोवर्सी के बाद यूपी की 80 में से 33 और बिहार की 40 में से 8 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। बीजेपी ने ‘नीच राजनीति’ और ‘नीच जाति’ का ऐसा ढिंढोरा पीटा कि यूपी की 33 में से 22 और बिहार की 8 में से 6 सीटें जीत लीं।