CIN /महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित प्राचीन भारतीय हिन्दू पवित्र आदि महाकाव्य “रामायण” के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र मरीची एवम् मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप ने विवस्वान को जन्म दिया और विवस्वान से ही सूर्यवंश का उदय हुआ। इसी क्रम में इक्ष्वाकु कुल में वैवस्वत मन्वंतर के 23 वे चतुर्युग के त्रेता युग में आज से लगभग 8,80,100 वर्ष पूर्व महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता माता के पति, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता, लव एवं कुश के पिता तथा भगवान् विष्णु के 7वें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म भारत के पवित्र सरयू नदी के तट पर बसे अयोध्या नामक नगर जो कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश प्रान्त में अवस्थित है में हुआ था।
चैत्रे नावमिके तिथौ।।*
नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु ।
*ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।
अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (प्रभु श्री राम का जन्म हुआ)।
वैदिक धर्म के कई त्योहार जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली श्रीराम की वन-कथा, अधर्म पर धर्म की विजय, प्रभु राम के अयोध्या आगमन आदि से जुड़े हुए हैं। रामायण भारतीयों के मन में बसता आया है और आज भी उनके हृदय में इसका भाव निहित है। भारत में किसी व्यक्ति को नमस्कार करने के लिए राम राम, जय सियाराम जैसे शब्दों को प्रयोग में लिया जाता है जो कि भारतीय संस्कृति के आधार हैं।
श्री राम मंदिर का निर्माण भगवान राम के भक्तों के लिए एक सपना था जो कि कई शताब्दियों की बहु प्रतीक्षा के बाद बन रहा है। इसके पुनर्निर्माण के लिए 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। आइए आपको बताते हैं कि सन 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान श्री राम का जन्म स्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं। सन 1853-1949 के दौरान 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी सरकार ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई। इसके बाद 1949 में असली विवाद शुरू हुआ जब 23 दिसंबर 1949 को भगवान श्री राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान श्री राम प्रकट हुए हैं जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया लेकिन उस समय के जिला मैजिस्ट्रेट (डी.एम.) श्री के.के. नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया। वर्ष 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई जिनमे से एक रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की। इसके बाद 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की एवं वर्ष 1984 में विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने की। 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी गठित की तथा 1986 में श्री यू. सी. पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज श्री के.एम. पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया। 6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। वर्ष 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया एवं 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए। 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा। 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। तत्पश्चात 6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई और 16 अक्टूबर 2019 को मामले की सुनवाई पूरी हुई तथा सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। इस प्रकार 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया जिसमें 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली तथा मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया। इस तरह 25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकल कर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।
भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद दिनांक 5 अगस्त 2020 को आधिकारिक तौर पर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के भूमिपूजन अनुष्ठान के उपरांत मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम के भव्य मन्दिर का निर्माण अयोध्या में उनके पवित्र जन्म स्थान पर किया जा रहा है। श्री राम निर्माण की आधारशिला के समारोह से पहले तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया तथा आधारशिला के रूप में 40 किलो चांदी की ईंट स्थापित की गई। श्री राम मंदिर निर्माण समाज की एकता और समर्पण की भावना को धरातल पर प्रतिष्ठापित करने में सहायक होगा। श्री राम मंदिर निर्माण मुद्दे ने सम्पूर्ण भारतीय समाज को राष्ट्रीय, सामाजिक और धार्मिक विकास के माध्यम से एक साथ लाने का कार्य किया है।
भगवान श्री राम मंदिर का निर्माण हम समस्त भारतीयों लिए एक गौरवपूर्ण, ऐतिहासिक एवं स्वर्णिम क्षण है जो भारत ही नहीं अपितु विश्व समाज को एक सशक्त, सामृद्धिक और समर्पित देव भूमि की ओर लाने में मदद कर रहा है। श्री राम मंदिर जो कि भारतवर्ष के अयोध्या नगरी में स्थापित किया जा रहा है न केवल एक पूजा स्थल होगा बल्कि एक मनमोहक ऐतिहासिक पर्यटन नगरी के प्रतीक के रूप में स्थापित होगा। श्री राम मंदिर श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक सुख और शांति का मुख्य केंद्र है। इससे पुरानी और नई पीढ़ियों को आध्यात्मिकता, आदर्शवाद और समरसता की मूलभूतता के प्रतीक मान्यता है।
सर्वग्राही भगवान श्री राम का यह पावन मंदिर न केवल धार्मिक सहमति का प्रतीक है बल्कि सामरिक समृद्धि के पथ पर एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री राम मंदिर का निर्माण एक सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का प्रतीक भी है जिसमें समृद्धि, सामाजिक एकता और समर्पण के मूल मंत्र छिपे हैं। भगवान श्री राम की अद्वितीयता और धर्म के प्रति आत्मसमर्पण का सिद्धांत हमें एक सामर्थ्यपूर्ण और सहानुभूति भरे जीवन की ओर मोड़ने के लिए प्रेरित करता है।
श्री राम मंदिर का निर्माण केवल इसके शारीरिक स्थल से ज्यादा अधिक महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से हम श्री राम के आदर्शों, गुणों और उपदेशों से प्रभावित होते हैं। हम श्री राम के साथीत्व, धर्म, धैर्य, सहानुभूति और सावधान बनने का प्रयास करते हैं और इससे हमारा जीवन स्वर्गीय बनता है। श्री राम मंदिर भारतीय सभ्यता का गर्व है। यह एक पवित्र और आध्यात्मिक स्थल है जहां हर व्यक्ति को शांति, सुख और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंदिर हमें याद दिलाता है कि हम प्रत्येक के साथ सहयोग और विनम्रता से एकता और समरसता को स्थापित कर सकते हैं। श्री राम मंदिर वास्तविक अर्थ में हमारी आध्यात्मिक उन्नयन की प्रेरणा और स्थान है।
इस प्रकार यदि हम संक्षेप में कहें तो अयोध्या नगरी जिसे कौशल जनपद के नाम से जाना जाता था में पवित्र सरयू नदी के तट पर पराक्रम, सरलता, सहिषुणता एवं नैतिकता के प्रतीक सर्वग्राही परम आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्म स्थान पर बन रहे भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण एक नवीन युग की शुरुआत को दर्शाता है जिसमें देश व समाज के सभी वर्ग, समुदाय और धर्मों के लोग एक साथ मिलकर पूर्ण भाईचारे के साथ रहते हैं और जो सदैव समृद्धि और शांति की दिशा में काम करते हैं।
राम मंदिर निर्माण से अनंत ऋषि मुनियों और संत महात्माओं की सदियों से चली आ रही तपस्या सफल होती नजर आ रही है।
राम मंदिर निर्माण के साथ – साथ भारत ही नहीं अपितु विश्व के अधिकांश देशों के राम भक्तों के लिए राम लला के दर्शनार्थ वायु सेवा के शुरुआत हेतु श्री राम नगरी अयोध्या में हवाई अड्डे का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है जिसका पहला चरण बनकर लगभग तैयार है। प्रथम चरण में घरेलू उड़ान जनवरी 2024 के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में शुरू होने की प्रबल संभावना है तथा द्वितीय चरण में अंतराष्ट्रीय उड़ान भी शीघ्र ही शुरू की जाएगी। इस हवाई अड्डे का नाम “मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम हवाई अड्डा” रखा जायेगा जहां भक्तों के प्रवेश करते ही भगवान श्री राम के बचपन से लेकर उनके सभी स्वरूपों का अलौकिक दर्शन किया जा सकता है ताकि भक्तों के अंदर हवाई जहाज से उतरते ही उनका तन एवम् मन राममय हो जाए।