पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि भले ही आजादी के 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं लेकिन राजद-कांग्रेस जैसे दलों की शाही मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया. यह लोग देश को अपने खानदान परिवार की जागीर समझते हैं और जनता को अपना गुलाम. इनका मानना है सत्ता पर केवल उनके खानदान के वारिसों का एकाधिकार है. लेकिन सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं ने इन परिवारवादियों के सिंहासन में सुराख़ कर दिया है. नीतीश-नमो के नेतृत्व में देश में लोकतंत्र सही मायनों में स्थापित होने लगा है और आगामी लोकसभा चुनाव के बाद इसकी जड़ें और मजबूत हो जायेंगी. उन्होंने कहा कि हकीकत में 2024 का लोकसभा चुनाव लोकतंत्र और परिवारवाद के बीच निर्णायक लड़ाई साबित होने वाला है, जिसका आगाज बिहार से हो चुका है. इसमें एक तरफ एनडीए के खेमे में जदयू और भाजपा जैसे दल हैं तो दूसरी तरफ राजद-कांग्रेस-सपा जैसे परिवारवादी दल. वहीं जनता की जागरूकता हर दिन बढती जा रही है. इससे परिवारवादियों के किले में भगदड़ मचनी शुरू हो चुकी है. दोनों दलों से नेताओं ने निकलना शुरू कर दिया है. आगामी चुनाव इनके ताबूत में आखरी कील साबित होने वाला है.जदयू प्रवक्ता ने कहा कि देश में चल रही बदलाव की इस आंधी ने खानदानी दलों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है. हर राज्य में जनता उन्हें सत्ता से बेदखल करती जा रहती है. यहां तक कि उनके सहयोगी भी उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं. इससे खानदानी पार्टियां डर चुकी हैं कि यदि ऐसा चलता रहा तो उनके युवराज और उनकी आने वाली पीढ़ियों को भी आम आदमी की तरह जीना पड़ जाएगा. यह लोग जान चुके हैं कि आगामी लोकसभा में इन्हें करारी हार का सामना करना पड़ेगा जिसके बाद इनकी पार्टियों को टूटने से कोई नहीं बचा सकता. इसीलिए चुनाव से पहले इस तरह की पार्टियां एकजुट होने का हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन इनके अपने-अपने अहंकार के इनका यह मंसूबा भी फेल हो रहा है. यह दल जान ले कि देश अब इनके फेर में नहीं पड़ने वाला. उनके पापों, घपले और घोटालों का घड़ा भर चुका है. अब कोई हथकंडा उन्हें डूबने से नहीं बचा सकता.