Kaushlendra Pandey /भारतीय राष्ट्रबोध विश्वबंधुत्व का पोषक है। हम जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी में विश्वास करते हैं और दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश भी देते हैं। हमारी संस्कृति में न केवल सभी मनुष्यों, वरन् संपूर्ण चराचर जगत के कल्याण की कामना की गई है।यह बात पटना विश्वविद्यालय, पटना एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो. के. सी. सिन्हा ने कही। वे सोमवार को 20वें प्रो.(डॉ) विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला में बोल रहे थे।
कार्यक्रम का आयोजन स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग टी. पी. एस. कॉलेज, पटना में भारत विकास परिषद् एवं विकलांग न्यास के सेवा एवं संस्कार प्रकोष्ठ, पटना के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।प्रो. सिन्हा ने कहा कि भारत की हजारों वर्षों की गौरवशाली यात्रा है। हमारे यहां विभिन्नता में एकता है और तमाम झंझावातों के बावजूद हमारे अंदर राष्ट्रबोध कायम है।उन्होंने कहा कि भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना चुका है और अमृत काल के पच्चीस वर्षों में हमने देश को विकसित बनाने का संकल्प लिया है।विषय प्रवेश करते हुए पद्मश्री श्री विमल जैन ने देश में अमृतकाल और राष्ट्रबोध पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने ‘आइडिया ऑफ भारत’ की चर्चा की और पाठ्यक्रम में धर्म के सकारात्मक भूमिका निर्धारित करने की जरूरत बताई। मुख्य वक्ता मनोज कुमार विमल ने अपने संबोधन में राष्ट्रबोध की चेतना और भारत के समृद्ध विरासत की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से एक राष्ट्र है। हमारा राष्ट्रबोध वैदिक काल से लेकर आज तक कायम है।अखौरी महेश्वर प्रसाद ने राष्ट्रबोध की चर्चा करते हुए राष्ट्रीयता के विभिन्न विचारधाराओं पर प्रकाश डाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री सह विधान पार्षद संजय पासवान ने रामराज्य की अवधारणा को अपनाने की बात की और उसे राष्ट्रबोध के लक्ष्य के रूप में स्वीकार करने की बात की।रामकृष्ण मिशन आश्रम, मुजफ्फरपुर के सचिव स्वामी भावात्मानंद जी ने प्रो. विजयश्री से उनके आध्यात्मिक संबंधों की चर्चा की। भारतीय राष्ट्रवाद विश्व मानवता का पोषक है। हमारे राष्ट्रवाद का आदर्श वसुधैव कुटुंबकम् है। उन्होंने कहा कि भारत में विविधताओं के बीच भी एकत्व का भाव कायम है। इसी भाव के कारण तमाम झंझावातों के बावजूद बचा हुआ है। अयोजन का शुभारंभ विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। अतिथियों ने स्वर्गीय प्रो. विजयश्री के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रबोध से तात्पर्य संविधान के पालन को बताया। उन्होंने बिहार दर्शन परिषद् के कार्यालय भवन निर्माण हेतु 50 हजार के सहयोग राशि की घोषणा भी की। प्रो. वीणा अमृत के द्वारा प्रो. विजयश्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। देशबंधु गुप्ता के द्वारा भारत विकास परिषद् एवं विकलांग न्यास के दिव्यांगजनों के लिए किए गए कार्यों एवं प्रयासों की जानकारी दी।कार्यक्रम का संयोजन दर्शन परिषद्, बिहार के महासचिव श्यामल किशोर ने किया।कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी मनीष कुमार द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर. सी. सिन्हा ने किया।कार्यक्रम में दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षता प्रो. पूनम सिंह, प्रो. आभा सिंह,प्रो. राजेश कुमार,प्रो. शैलेश कुमार सिंह, प्रो. किस्मत कुमार सिंह, प्रो.अभय कुमार सिंह, प्रो. नागेंद्र मिश्र, प्रो.प्रशांत कुमार, प्रो.कृष्णानंद प्रसाद, प्रो. रघुवंश मणि, प्रो.अरूण कुमार, प्रो. अविनाश श्रीवास्तव, डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया, डॉ. नीरज प्रकाश, डॉ. पूजा, अंकित तिवारी, मनोज कुमार सिंह, कुमार अमिताभ सहित विभिन्न महाविद्यालयों के गणमान्य शिक्षकों सहित विद्यार्थीयों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।