पटना: इंडी गठबंधन की आज आयोजित रैली पर तंज कसते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि विपक्ष की तथाकथित महारैली वास्तव में फूंका कारतूस निकली. रैली के बहाने वंशवादियों ने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन परिणाम शून्य निकला. कार्यकर्ताओं में जोश जगाने की जगह विपक्ष के नेताओं का पूरा समय रोने-धोने में निकल गया.रैली में भारी भीड़ जुटने के दावों की पोल खोलते हुए उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस ने दावा किया था कि रैली में 10 लाख लोग जुटेंगे, लेकिन इनसे लगभग 60 हजार लोगों को लाना भी मुश्किल हो गया. उसमें भी लोगों के मुताबिक राजद-कांग्रेस दोनों के मिलाकर बमुश्किल 15-16 हजार कार्यकर्ता शामिल हुए , वहीं माले के लोगों की संख्या इनसे ज्यादा थी. इसके अतिरिक्त सारी भीड़ भाड़े पर जुटाई गयी थी. बहुतों को तो मुफ्त में पटना घुमाने के नाम पर बुलाया गया था. यह दिखाता है कि राजद-कांग्रेस जनता का विश्वास जीतना तो दूर अपने कार्यकर्ताओं का भरोसा भी नहीं जीत पायी.उन्होंने कहा कि दरअसल राजद-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मन परिवार की गुलामी से ऊब चुका है. उन्हें पता है कि यह रैली ‘परिवार और काला धन’ बचाओ रैली थी, जिसका उद्देश्य पार्टी में मची भगदड़ को रोकना भर था.जदयू प्रवक्ता ने कहा कि इस रैली में भी विपक्ष के नेता नीतीश सरकार के कामों के सहारे अपने काले कारनामों की कालिख धोने का प्रयास करते दिखे. लेकिन उनसे 17 महीनों के अपने कार्यकाल में हुए 17 काम भी गिनाये न जा सके. नीतीश सरकार के कामों का झूठा श्रेय लेने वाले नेताओं को जान लेना चाहिए कि बिहार के लोग जानते हैं कि राजद और विकास के बीच हमेशा ही छत्तीस का रिश्ता रहा है. 17 महीनों का ढोल पीट रहे राजद को यह जान लेना चाहिए कि 17 जन्म में भी वह नीतीश सरकार के कामों की बराबरी नहीं कर सकते.उन्होंने कहा कि हकीकत में यह रैली खानदानी दलों का अपने अस्तित्व को बचाने की आखरी कवायद थी. इसी बहाने वह अपने दलों में मची भगदड़ से जनता का ध्यान भटकाने का भरपूर प्रयास भी करते नजर आये. लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि भाड़े की भीड़ वोटों में तब्दील नहीं होती. बिहार की जनता लालटेन युग से आगे बढ़कर एलइडी के दौर में प्रवेश कर चुकी है. खोखले वादों से अब उन्हें भरमाया नहीं जा सकता. विपक्ष चाहे हजारों ऐसी रैलियां कर लें लेकिन उनकी नाव डूबने से कोई नहीं बचा सकता.