पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि देश का राजनीतिक इतिहास गवाह है कि परिवारवादी दलों ने कभी भी महिलाओं को वोट बैंक से आगे नहीं बढने दिया. लेकिन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने सत्ता संभालने के पहले दिन से ही महिलाओं का विकास और सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकताओं में शुमार रखा है. दोनों नेताओं ने कई क्रांतिकारी योजनाएं शुरू की जिससे पहली बार देश की आधी आबादी को अपनी ताकत का एहसास हुआ. श्री रंजन ने कहा कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामों का परिणाम ही है कि जिस बिहार में महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी, वहां आज वह पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. बिहार सरकार ने उनकी शिक्षा से लेकर नौकरियों तक के लिए व्यापक प्रबंध किये हैं, जिसके कारण आज स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों की संख्या जहां लड़कों के बराबर हो गयी है, वहीं सरकारी दफ्तरों में वह पुरुषों को टक्कर दे रही हैं. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि नीतीश सरकार में ही बिहार देश का पहला राज्य बना जहां महिलाओं को सरकारी नौकरी में सशक्त हिस्सेदारी दिलाने के लिए 35 फीसदी का आरक्षण दिया गया. वहीं शिक्षा विभाग की नौकरियों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान किया गया. इसी तरह सरकारी दफ्तरों में पोस्टिंग में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. इन्हीं वजहों से आज बिहार देश के किसी भी राज्य से ज्यादा महिलाएं पुलिस विभाग में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इसी तरह महिलाओं को सशक्त और सामर्थ्यवान करने के लिए प्रधानमन्त्री मोदी की पहल से देश में उज्जवला योजना, नल जल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, मातृत्व वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना जैसी कई योजनाओं की शुरुआत हुई जिससे आज बड़ी संख्या में महिलाओं को लाभ मिल रहा है. मोदी सरकार ने ही महिलाओं को सशक्त करने के लिए मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया, वर्क प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए, वहीं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों पर फांसी जैसी सजा का प्रावधान किया. उनके कारण ही सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की शुरुआत भी हुई. यहां तक की उनकी पहल से ही पहली बार देश को महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिली है.