Kaushlendra Pandey /बगहा/पटना: आज बगहा में एनडीए गठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. वार्ता को जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने संबोधित किया. संबोधित करते जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने राजद-कांग्रेस गठजोड़ पर जम कर हमला किया है.उन्होंने कहा कि राजद-कांग्रेस जैसी पार्टियां अपने प्रमुख परिवारों में इतनी अंधी हो चुकी हैं कि उन्हें जनता का हित दिखायी देना बंद हो गया है. यह राजद-कांग्रेस का कुशासन ही था जिसने गाँधी के चंपारण को मिनी चंबल के नाम से कुख्यात कर दिया था. आज भले ही नीतीश सरकार में परिस्थितियां बदल गयी है लेकिन राजद-कांग्रेस के नेताओं की मानसिकता जस की तस है. इन्हें विकास से इतनी चिढ़ है कि यह अभी भी जनता को बरगलाकर बिहार और चंपारण को फिर से लालटेन युग में ले जाना चाहते हैं. यह लोग जान लें कि जमाना बदल चुका है, उनका झूठ अब चलने वाला नहीं है. राजद को झूठ की दुकान बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह राहुल गाँधी झूठ के सहारे चर्चा में बने रहना चाहते हैं, उसी नीति पर अब राजद के युवराज भी चल चुके हैं चाहते. इनका पूरा समय नये झूठ गढ़ने और उसे भुनाने की कोशिशों में निकल जाता है. सीना ठोक कर झूठ बोलने के यह इतने आदि हो चुके हैं कि इन्हें नीतीश सरकार के कामों का झूठा श्रेय लेने में भी शर्म नहीं आती. ‘हिट एंड रन’ की शैली में तेजस्वी रोज दूसरों पर सवाल उठाते हैं लेकिन जब उनसे सवाल पूछे जाते हैं तो वह भाग खड़े होते हैं. तेजस्वी को बताना चाहिए कि आखिर सवालों का सामना करने से वह डरते क्यों हैं?राजद से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि जनता को विकास का झूठा पाठ पढ़ा रहे राजद नेताओं को बताना चाहिए कि क्या यह सच नहीं है कि उनके 15 वर्षों के शासन में 114 नरसंहार हुए थे, जिसमें महिलाओं, बच्चों समेत हजारों लोगों ने अपनी जाने गवाई थी? राजद बताएं कि इनका जिम्मेवार कौन था? वह बताये कि क्या नीतीश सरकार ने इसे बंद नहीं करवाया? उन्होंने पूछा कि क्या राजद काल में अपहरण, रंगदारी और भ्रष्टाचार उद्योग की तरह नहीं चलते थे, जिनपर नीतीश राज में लगाम लगी ? राजद बताये कि लालू जी का सावन में मटन बनाना, तेजस्वी जी का नवरात्र में मछली खाना और उनके नेताओं का रामचरितमानस व मां दुर्गा को गाली देना आखिर सनातन का अपमान कैसे नहीं है? ऐसे ओछी राजनीति राजद किसके कहने पर कर रहा है?जदयू प्रवक्ता ने पूछा कि नीतीश जी के 7 निश्चयों के तहत दी गयी बहालियों का झूठा श्रेय ले रहे तेजस्वी को बताना चाहिए कि क्या शिक्षकों की बहाली के समय इनके शिक्षा मंत्री ऑफिस जाते थे? बहालियों की फाइल पर उनके दस्तखत क्यों नहीं है? वह बताएं कि राजद के 15 साल के राज में कितनी नौकरियां दी गयी थीं? राजद बताये कि उनके राज में चीनी मिल, मोर्टन चॉकलेट जैसे अनगिनत कारखाने बंद क्यों गये थे? क्यों उनके राज में बिहार के युवाओं और व्यापारियों को सामूहिक पलायन करना पड़ता था?उन्होंने कहा कि राजद बार-बार आरक्षण की बात करता है. उसके नेता बताएं कि क्या अपने राज में उन्होंने किसी एक वर्ग को भी आरक्षण दिया या उनके आरक्षण को बढाया? वह बताएं कि क्या यह सच नहीं है कि कर्पूरी ठाकुर के बाद नीतीश कुमार एकमात्र ऐसे राजनेता हुए जिन्होंने गरीबों, अतिपिछड़ों व महिलाओं के आरक्षण को बढ़ाया है? तेजस्वी को यदि युवाओं की इतनी ही चिंता है तो वह बिना किसी काम धंधे के नाबालिग रहते हुए ही करोडपति बनने का नुस्खा क्यों नहीं बता देते? उन्होंने कहा कि वास्तव में राजद और विकास में हमेशा 36 का आंकड़ा रहा है. इनके लिए विकास का मतलब अपने परिवार की संपत्ति बढ़ाना, आरक्षण का मतलब अपने परिजनों के लिए राजनीतिक सीटें आरक्षित करना, गरीबों की भलाई का मतलब उनकी जमीनें लेकर छोटी-मोटी नौकरियां देना और राजनीति मतलब पूंजीपतियों और बाहुबलियों को अपने पाले में लेकर परिवार का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना है. यह लोग जान लें कि इनका खेल जनता जानती है और इस चुनाव में भी उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा.