पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि आरक्षण के कर्पूरी मॉडल पर तेजस्वी यादव द्वारा दिए गये बयान से यह साफ़ हो गया है वह दलितों तथा पिछड़े-अतिपिछड़े समाज का आरक्षण घटाना चाहते हैं. वह जान लें कि 14 करोड़ बिहारी मर-मिट जायेंगे लेकिन आरक्षण घटाने के उनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे.अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि कर्पूरी ठाकुर जी के समय केवल दलित समाज को आरक्षण मिला करता था. लेकिन कर्पूरी ठकुर जी पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की व्यथा को समझा और पहली बार उन्हें आरक्षण देने का क्रांतिकारी काम किया. उस समय उन्होंने पिछड़े समाज को 8% और अतिपिछड़े समाज को 12% का आरक्षण दिया था. बाद में कांग्रेस और राजद की सरकारें आयीं, लेकिन उनका पूरा ध्यान परिवार की तिजोरी भरने पर लगा रहा. उन्होंने न तो किसी नये वर्ग को आरक्षण दिया और न ही दलितों-पिछड़ों-अतिपिछड़ों के आरक्षण को बढाया.आंकड़े देते हुए जदयू प्रवक्ता ने लिखा कि कर्पूरी ठाकुर के बाद यह नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने बदलते वक्त को समझा कौर पिछड़े व अतिपिछड़े समाज के आरक्षण को बढ़ाकर क्रमश: 12 व 18 प्रतिशत कर दिया. बाद में जातिगत गणना करवा कर नीतीश सरकार ने इसे और बढ़ाते हुए पिछड़ा समाज के आरक्षण को 18 व अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 25 प्रतिशत कर दिया. इसी तरह नीतीश सरकार ने दलितों को मिल रहे 15% आरक्षण को भी बढ़ाकर पहले 16% किया और अब जातिगत गणना के बाद इसे 20% करने का निर्णय ले लिया.उन्होंने लिखा कि नीतीश सरकार के कारण ही आज बिहार में 75% आरक्षण का प्रावधान किया जा चुका है जो देश में सर्वाधिक है. समाज के शोषितों-वंचितों-पीड़ितों को उनका हक देने की दिशा में तेजी से काम हो रहे हैं. लेकिन तेजस्वी चाहते हैं कि इन सब पर ब्रेक लग जाए. उनके बयान से स्पष्ट है कि दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों के आरक्षण को 20, 18 व 25 प्रतिशत से घटा कर फिर से 15, 8 व 12 प्रतिशत कर देना चाहते हैं. तेजस्वी को बताना चाहिए कि आखिर उन्हें दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों के सशक्तिकरण से क्या समस्या है. क्यों वह उन्हें वापस जंगलराज वाले समय में घसीटना चाहते हैं?