पटना, 9 मई। अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान करने वाले युग-प्रवर्त्तक साहित्यकार थे महावीर प्रसाद द्विवेदी। हिन्दी भाषा और साहित्य के महान उन्नायकों में उन्हें आदर के साथ स्मरण किया जाता है। उनके विपुल साहित्यिक अवदान के कारण ही, उनके साधना-काल को, हिन्दी साहित्य के इतिहास में ‘द्विवेदी-युग’ के रूप में जाना जाता है। वे एक महान स्वतंत्रता-सेनानी, कवि, पत्रकार और समालोचक थे।बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आचार्य द्विवेदी की १६०वीं जयन्ती पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने यह बातें कहीं। डा सुलभ ने कहा कि, आधुनिक हिन्दी को, यदि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया तो यह कहा जा सकता है कि द्विवेदी जी के काल में वह जवान हुई। आधुनिक हिन्दी, जिसे खड़ी बोली भी कहा गया, को गढ़ने में असंदिग्ध रूप से आचार्य द्विवेदी का अद्वितीय अवदान है।सम्मेलन में महाकवि काशीनाथ पाण्डेय और डा रवीन्द्र राजहंस को भी स्मृति-दिवस पर श्रद्धापूर्वक स्मरण किया गया। समारोह के उद्घाटन कर्त्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने महाकवि को बिहार की साहित्यिक धरोहर बताते हुए कहा कि पाण्डेय जी ने हिन्दी काव्य में अनेकानेक भाषाओं के शब्दों से समृद्ध किया।डा राजहंस को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि, रवीन्द्र जी अंग्रेज़ी के प्राध्यापक किंतु हिन्दी के सेवक थे। उन्होंने अपनी काव्य-रचनाओं से वयंग्य-साहित्य को समृद्ध किया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म-अलंकरण से विभूषित किया। जयप्रकाश-आंदोलन में वे अपनी कविता के साथ उतरे थे।सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, प्रो सुशील कुमार झा, दीपक ठाकुर, अविनय काशीनाथ पाण्डेय, ई अवध बिहारी सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर सम्मेलन द्वारा आयोजित ‘महाकवि काशीनाथ स्मृति गायन, व्याख्यान एवं काव्य-पाठ प्रतियोगिता’ के सफल छात्र-छात्राओं को पदक और प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। अधिक पदक जीतने के कारण इस वर्ष का ‘सकल विजेता हस्तांतरणीय स्मृतिका’ पाटलिपुत्र विश्व विद्यालय को दिया गया। प्रतियोगिता में, पटना विश्व विद्यालय और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के साथ अनेक विद्यालयों के ७४ छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभागिता दी। सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता-प्रमाणपत्र दिए गए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ डा पल्लवी विश्वास की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी, विभा रानी श्रीवास्तव, ई अशोक कुमार, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा प्रतिभा रानी, मीरा श्रीवास्तव, नीता सहाय, रेणु मिश्रा , शंकर शरण मधुकर, लता प्रासर, सुनीता रंजन, राजदेव सिंह आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी मधुर रचनाओं से आयोजन को रस और रंग प्रदान किया। मंच का संचालन सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास तथा कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने संयुक्त रूप से किया।प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वालों के नाम इस प्रकार हैं;-व्याख्यान (वरिष्ठ श्रेणी): – सत्य प्रकाश ध्रुव (ए एन कौलेज, पटना), शालिनी सिंह (पटना महिला महाविद्यालय) तथा ऋतिका कुमारी (जे डी वोमेंस कौलेज) व्याख्यान (कनिष्ठ श्रेणी): अलिशबा और इच्छा ((सेंट कैरेंस कौलेजिएट), काव्य-पाठ (वरिष्ठ श्रेणी): शालिनी सिंह (पटना महिला महाविद्यालय), विकी कुमार (ए बी सी कौलेज ऑफ एडुकेशन), ऋतुवाला साक्षी (कालेज ऑफ कौमर्स), काव्य-पाठ (कनिष्ठ श्रेणी): अंश राज, जय जय श्री,और आराध्या शर्मा, काव्य-पाठ (स्वतंत्र श्रेणी) : शिवम् , रीति कुमारी और अनाहिता कांति, गीत-ग़ज़ल-गायन(वरिष्ठ श्रेणी): शशि भूषण कुमार, शालिनी सिंह और आर्या कुमारी, गीत ग़ज़ल-गायन (कनिष्ठ श्रेणी); काशिका पाण्डेय,प्राची कुमारी और मानसी कुमारी, गायन (स्वतंत्र श्रेणी); शिवानी ।विशेष सहभागिता के लिए गार्गी पाठशाला की शिक्षिका नम्रता कुमारी, संत कैरेंस कौलेजिएट की शिक्षिका मीनाक्षी सिंह, सेंट डौमिनीक सेवियोज की शिक्षिका संजू चौधरी, फ़ाउंडेशन अकादमी के शिक्षक आयुर्मान यास्क, पटना महिला महाविद्यालय की प्राध्यापिका डा मंजुला सुशीला तथा कौलेज ऑफ कौमर्स के प्राध्यापक डा मनोज गुप्त को सम्मानित किया गया।