पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि नमो-नीतीश राज में दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों के हुए सशक्तिकरण से सबसे ज्यादा कष्ट राजद-कांग्रेस जैसे परिवारवादी दलों को हुआ है. लोग भूले नहीं है कि पहले कैसे यह दोनों पार्टियां इन गरीब जातियों को अपने गुंडों-दबंगों से डरा-धमका कर उनके वोटों को लूट लिया करते थे. कई जगहों पर इनके पूरे गांव को वोट डालने से रोक दिया जाता था. इसी तरह से इन दलों ने दशकों तक राज किया और अकूत संपत्ति अर्जित की. लेकिन एनडीए राज में दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों को पूरी ताकत व सुरक्षा मिली. उसी के परिणाम स्वरूप यह दोनों दल सत्ता से बाहर हैं. यदि इन्हें गलती से भी मौका मिला तो यह लोग गरीब जातियों को फिर से गर्त में पहुंचा देंगे. उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि इनके राज में सर्वाधिक शोषण इन्हीं गरीब जातियों का हुआ. उस समय होने वाले नरसंहारों में सबसे ज्यादा दलित-पिछड़े व अतिपिछड़े ही मरते थे. राजद-कांग्रेस के गुंडे गरीब जातियों की बहु-बेटियों को खुलेआम उठा लिया करते थे, वहीं पुलिस-प्रशासन सत्ता के डर से इन समाजों के केस तक दर्ज नहीं करते थे. छोटे-मोटे काम धंधे करने वाले लोगों को भी रंगदारी देना पड़ता था, नही तो उनकी दुकानों और ठेलों को लूट लिया जाता था. राजद-कांग्रेस राज्य को फिर से उसी हालत में लाना चाहते हैं.राजद-कांग्रेस को गरीबों के लिए खतरा बताते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में आज राजद-कांग्रेस की निगाह में दलित-पिछड़े और अतिपिछड़े उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं. चूंकि इन जातियों की संख्या राज्य में सर्वाधिक है इसीलिए यह दल अपनी हार के लिए इन गरीब जातियों को जिम्मेवार मानते हैं. अगर गलती से इन्हें ताकत मिल गयी तो यह अपनी हार का बदला इन जातियों से जरुर लेंगे. राजद के युवराज कर्पूरी मॉडल को फिर से लाकर इन जातियों का आरक्षण घटाने की दावा पहले ही कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में राजद-कांग्रेस कोई पार्टी नहीं बल्कि राजनीतिक प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां हैं, वहीं इनके नेता आज के जमींदार और सामंत हैं. इसीलिए इनके युवराज देश और राज्य को अपनी जागीर और जनता को अपना गुलाम समझते हैं. यही वजह है कि इनके युवराजों को अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को खुलेआम पीटने में भी देर नहीं लगती. मौका मिलने पर जनता की कैसी गत बनायेंगे यह स्वत: समझा जा सकता है.