पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि नीतीश राज में दलितों व पिछड़े-अतिपिछड़े समाज का हुआ सशक्तिकरण तेजस्वी यादव की आँखों में कांटे की तरह चुभ रहा है. चूंकि इन गरीब जातियों की संख्या बिहार में सर्वाधिक है, इसीलिए तेजस्वी अपने खानदान को सत्ता न मिलने का कारण इन्हीं को मानते हैं. छोटी जात के लोग आज उनके खानदान की जमींदारी और रंगदारी के विरोध में खड़े हैं, यह उन्हें बर्दाश्त ही नही हो रहा. इसीलिए इन्होनें दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े समाज के आरक्षण को घटाने का मंसूबा बना लिया है. तेजस्वी यह जान लें कि कर्पूरी जी के नाम के सहारे गरीब जातियों का आरक्षण घटाने की उनकी कोई भी कोशिश हम कामयाब नहीं होने देंगे.तेजस्वी की पोल खोलते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी के समय केवल दलित समाज को आरक्षण मिला करता था. लेकिन कर्पूरी ठकुर जी पिछड़े-अतिपिछड़े समाज की व्यथा को समझा और पहली बार उन्हें आरक्षण देने का क्रांतिकारी काम किया. उस समय उन्होंने पिछड़े समाज को 8% और अतिपिछड़े समाज को 12% का आरक्षण दिया था. बाद में कांग्रेस और राजद की सरकारें आयीं, लेकिन उनका पूरा ध्यान परिवार की तिजोरी भरने पर लगा रहा. उन्होंने न तो किसी नये वर्ग को आरक्षण दिया और न ही दलितों-पिछड़ों-अतिपिछड़ों के आरक्षण को बढाया. गरीब जातियों को आगे बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार द्वारा किये गये कामों ब्यौरा देते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर के बाद यह नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने बदलते वक्त को समझा कौर पिछड़े व अतिपिछड़े समाज के आरक्षण को बढ़ाकर क्रमश: 12 व 18 प्रतिशत कर दिया. बाद में जातिगत गणना करवा कर नीतीश सरकार ने इसे और बढ़ाते हुए पिछड़ा समाज के आरक्षण को 18 व अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 25 प्रतिशत कर दिया. इसी तरह नीतीश सरकार ने दलितों को मिल रहे 15% आरक्षण को भी बढ़ाकर पहले 16% किया और अब जातिगत गणना के बाद इसे 20% करने का निर्णय ले लिया. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार के कारण ही आज बिहार में 75% आरक्षण का प्रावधान किया जा चुका है जो देश में सर्वाधिक है. समाज के शोषितों-वंचितों-पीड़ितों को उनका हक देने की दिशा में तेजी से काम हो रहे हैं. लेकिन तेजस्वी चाहते हैं कि इन सब पर ब्रेक लग जाए. वह चाहते हैं कि दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों के आरक्षण को 20, 18 व 25 प्रतिशत से घटा कर फिर से 15, 8 व 12 प्रतिशत कर देना चाहते हैं. तेजस्वी को बताना चाहिए कि आखिर उन्हें दलितों-पिछड़ों व अतिपिछड़ों के सशक्तिकरण से क्या समस्या है. क्यों वह उन्हें वापस जंगलराज वाले समय में घसीटना चाहते हैं?