PANTA ब्यूरो /दर्शन परिषद्, बिहार द्वारा सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं संस्कृतिविद् प्रोफेसर एस. आर. भट्ट (नई दिल्ली) के निधन पर ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर. सी. सिन्हा ने बताया कि प्रो. भट्ट दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष तथा यूजीसी विशेष सहायता कार्यक्रम के समन्वयक थे। वे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर), नई दिल्ली के अध्यक्ष भी रहे थे। सभा की अध्यक्षता करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्षा सह परिषद् की अध्यक्षा प्रो. पूनम सिंह ने बताया कि प्रो. भट्ट एशियन फिलॉस्फी कांग्रेस एवं इंडियन फिलॉस्फिकल कांग्रेस के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के सामान्य अध्यक्ष रहे थे। उनकी 21 से अधिक पुस्तकें लिखी या संपादित की हैं और उनके नाम 200 से अधिक प्रकाशित शोध पत्र हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग, टी. पी. एस. कॉलेज, मधेपुरा के अध्यक्ष सह परिषद् के महासचिव डॉ. श्यामल किशोर ने बताया कि प्रो. भट्ट का दर्शन परिषद्, बिहार से भी गहरा लगाव था। वे परिषद् के कई अधिवेशनों में शामिल हुए और उन्होंने परिषद् को आईसीपीआर से अनुदान दिलाने में भी महती भूमिका निभाई थी।मगध विश्वविद्यालय, बोधगया की पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी ने कहा कि प्रो. भट्ट ने देश-विदेश में दर्शन को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।संयुक्त मंत्री प्रो. पूर्णेन्दु शेखर (भागलपुर) ने बताया कि प्रो. भट्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राचीन भारतीय संस्कृति, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और वेदांत के विशेषज्ञ के रूप में जाना जाते थे। उनमें कठिन-से-कठिन विषय को भी स्पष्टतापूर्वक सामने लाने की अद्वितीय क्षमता थी।डॉ. आलोक टंडन (उत्तर प्रदेश) ने कहा कि प्रो. भट्ट अपने विरोधी विचारों का भी सम्मान करते थे।इस अवसर पर डॉ. विजयकांत दुबे, डॉ. अनिल कुमार वर्मा, डॉ. प्रशांत शुक्ला, डॉ. आभास कुमार, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. नीति सिंह, डॉ. राहुल मनहर, डॉ. नीरज प्रकाश, डॉ. हिमांशु शेखर सिंह, मनीष चौधरी, श्याम प्रिया, ललित कुमार एवं सौरभ कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।