पटना, कोरोना के कारण टल गए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का शताब्दी-समारोह इस वर्ष के सितम्बर माह में भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा। इसे अंतर्रष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए, भारतवर्ष के मनीषी विद्वानों और विदुषियों के अतिरिक्त विदेशों में हिन्दी की मूल्यवान सेवा कर रहे मनीषियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। समारोह के उद्घाटन हेतु भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रण दिया जा रहा है।
यह निर्णय रविवार की संध्या, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन सभागार में सम्पन्न हुई सम्मेलन की कार्य-समिति की बैठक में लिया गया। सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शताब्दी-समारोह के साथ ही सम्मेलन का ४३वाँ महाधिवेशन भी आयोजित होगा। दो दिनों के इस भव्य समारोह में, ‘एक राष्ट्र:एक राष्ट्राभाषा’ सहित समस्त भारतीय भाषाओं के हित-रक्षण के उपायों पर भी चिंतन किया जाएगा।
डा सुलभ के अनुसार, बैठक में उपस्थित सम्मेलन की स्वागत-समिति के अध्यक्ष और पूर्व सांसद डा रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने अवगत कराया कि इस प्रसंग में भारत की माननीया राष्ट्रपति जी से उनकी वार्ता हो चुकी है और उनका मौखिक आश्वासन भी प्राप्त है। औपचारिक तिथि के निर्धारण हेतु जून के तीसरे सप्ताह में उनसे सम्मेलन का एक शिष्ट-मण्डल भेंट करेगा और सितम्बर में कोई तिथि निश्चित करने का अनुरोध करेगा। दुर्गापूजा के पूर्व किसी तिथि में यह उत्सव किया जाना उचित होगा। सर्व सम्मति से इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
डा सुलभ ने बताया कि इस समारोह में २१ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के हिन्दी-सेवियों को ‘साहित्य सम्मेलन शताब्दी-सम्मान’ से अलंकृत किया जाएगा।
बैठक में भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी और सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा उपेन्द्रनाथ पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, सम्मेलन के प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जमुआर, डा ध्रुव कुमार, प्रो सुशील कुमार झा, ई अशोक कुमार, कृष्ण रंजन सिंह, सागरिका राय, कुमार अनुपम, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, अंबरीष कांत, श्याम बिहारी प्रभाकर, बाँके बिहारी साव, जय प्रकाश पुजारी, प्रवीर कुमार पंकज, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, नीरव समदर्शी, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्त, रोहित कुमार, विशेष आमंत्रित सदस्या डा सुमेधा पाठक, डा विद्या चौधरी, डा प्रतिभा रानी, रौली कुमारी तथा ज्योति श्रीवास्तव ने अपने विचार रखे।