पटना: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि ऐसा कोई चुनाव नहीं होता है जब राजद के नेता आरक्षण पर हल्ला नहीं मचाते हों जबकि वास्तविकता में इनसे बड़ा आरक्षण विरोधी दल कोई और नहीं है. इनके 15 वर्षों में राज में न तो जातियों की किसी प्रकार की गणना हुई , न ही इन्होंने पहले से चले आ रहे आरक्षण में कोई बढ़ोतरी की और न ही किसी न ही किसी ख़ास को वर्ग को अपनी तरफ से आरक्षण दिया. यहां तक कि इनके राज में जमीन के बदले सरकारी नौकरियां देने के चलन की वजह से आम लोगों को पहले से चले आ रहे आरक्षण का लाभ भी ढंग से नहीं मिला. हकीकत में इनके लिए आरक्षण हमेशा से केवल जनता को बहकाने और उनके वोटों की खेती करने का औजार भर रहा है. उन्होंने कहा कि आरक्षण पर लंबी लंबी हांकने वाले राजद के नेताओं यह जान लेना चाहिए बिहार में सिर्फ कर्पूरी ठाकुर और नीतीश कुमार ही ऐसे राजनेता हुए हैं जिन्होंने समाज के हर वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया. राजद नेताओं में यदि हिम्मत हो तो वह बताएं कि उन्होंने कितनों को आरक्षण दिया. तथ्य देते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में कर्पूरी ठाकुर जी पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने सर्वाधिक जनसंख्या वाले पिछड़े/अतिपिछड़े समाज और महिलाओं और गरीब सवर्णों को सशक्त करने के लिए उन्हें 26% आरक्षण का अधिकार दिया. वहीं नीतीश कुमार ने इसे बढ़ाकर आज 75% तक पहुंचा दिया. कर्पूरी ठाकुर जी के राज में पिछड़े व अतिपिछड़े समाज को क्रमश: 8% व 12% का आरक्षण दिया गया. उनके बाद वहीं नीतीश कुमार ही ऐसे सीएम हुए जिन्होंने इस समाज के तेज विकास के लिए इसे बढ़ाकर 18% व 25% कर दिया. नीतीश कुमार जी ने ही दलितों को मिलने वाले आरक्षण में भी बढ़ोतरी करते हुए इसे 20% कर दिया. इसी सरकार में महिलाओं को शिक्षा विभाग में 50%, अन्य सरकारी नौकरियों तथा पोस्टिंग में 35% के आरक्षण का अधिकार दिया गया. उन्होंने कहा कि हकीकत में कर्पूरी-नीतीश ने जहां आम गरीबों को आरक्षण का अधिकार दिया वहीं राजद राज में सिर्फ लालू परिवार और जमीन देने वालों को तरजीह दी गयी. लालू परिवार के लिए जहां सत्ता के मलाईदार पद और राजद की गद्दी आरक्षित की गयी वहीं जमीन देने वालों को नौकरियों की सौगात भेंट की गयी.