पटना, १० जुलाई। नवोदित कवयित्री सुनीता रंजन ने अपनी प्रथम काव्य-पुस्तक से ही अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया है। ये भाव-संपदा से संपन्न निष्ठावान कवयित्री हैं। अनुभवों के साथ इनका कला-पक्ष भी समृद्ध होता जाएगा, ऐसा विश्वास होता है। यह बातें बुधवार को नगर के होटल ऑरेलिया पर्ल में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि “अनकहे अलफ़ाज़” वस्तुतः कवयित्री की समस्त कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है।इसमें पीड़ा भी है और जीवन के प्रति आस्था और संघर्ष भी। समारोह का उद्घाटन करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर ने कहा कि कविता लिखना कठिन कार्य है। कवयित्री ने एक कविता नहीं कविताओं का संग्रह लिख डाला है, जिसके लिए ये बधाई और शुभकामनाओं की पात्र हैं!कवयित्री ने अपने कृतज्ञता-ज्ञापन के क्रम में लोकार्पित पुस्तक से पाँच रचनाओं का पाठ भी किया। वरिष्ठ कवयित्री डा मीना कुमारी परिहार, दीपक ठाकुर, डा रेणु मिश्रा, वरुण कुमार सिंह आदि ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे तथा कवयित्री को शुभकामनाएँ दी। मंच का संचालन उत्पल तिवारी ने किया।समारोह में, जी अभिषेक, विश्वमोहन चौधरी संत, अमितेश राज, आदर्श कुमार, आशुतोष मोदी, गुलशन कुमार आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।