पटना: अपराध के मामले पर तेजस्वी को आइना दिखाते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि नीतीश सरकार को अपराध पर ज्ञान देने से पहले तेजस्वी यादव को अपने माता पिता के जंगलराज के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए.मुकेश सहनी जी के पिता के हत्यारों का महज 36 घंटे में गिरफ्तार होना यह दिखाता है कि यह सरकार अपराधियों के खिलाफ कितनी तेजी से कारवाई करती हैं. वहीं राजद काल में सत्ता की शह पर अपराध होते थे. उस दौर में बिहार में हत्या और अपहरण एक ‘उद्योग’ और कारोबार बन चुका था. आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि तेजस्वी जी यदि थोड़ा सा भी पढ़ने की जहमत उठायें तो उन्हें पता चल जाएगा कि उनके माता-पिता का राज अपराधियों के लिए स्वर्णकाल था. उनके राज के अंतिम वर्ष 2005 की ही बात करें तो उस साल 3471 हत्याएँ हुईं. साथ ही 251 अपहरण की वारदातें हुईं और बलात्कार की 1147 घटनाएँ हुईं. इसके एक साल और पीछे जाएँ तो 2004 में बिहार में हत्या के 3948, दंगे के 9199, रंगदारी के लिए अपहरण 411 घटनाएँ और बलात्कार की 1390 घटनाएँ दर्ज की गई थीं. इसी तरह 2003 में हत्या की 3652 और अपहरण की 1956 वारदातें दर्ज की गईं, वहीं 8189 दंगे हुए. इसके अलावे कई अपराधों के मामले तो कोर्ट तो दूर, पुलिस स्टेशन भी नहीं पहुँच पाते थे, क्योंकि लोगों को सीधा गायब ही करा दिया जाता था. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी जी को पता होना चाहिए कि उस समय आम जनता तो दूर जनप्रतिनिधि तक सुरक्षित नहीं थे. विधायक अजीत सरकार हों, देवेंद्र दुबे हों, विधायक का चुनाव लड़ रहे छोटन शुक्ला हों या फिर मंत्री बृजबिहारी प्रसाद, यह सभी लोग रंजिशों में ही मारे गए। यहाँ तक कि अधिकारी भी सुरक्षित नहीं थे. IAS अधिकारी बीबी विश्वास की पत्नी चम्पा विश्वास, उनकी माँ, भतीजी और 2 मेड्स के साथ बलात्कार की घटना हुई, जिसमें राजद नेता के पुत्र का नाम आया था. उन्होंने कहा कि तेजस्वी जी को जानना चाहिए कि इन सब तरह के अपराधों पर नीतीश सरकार आने के बाद ही लगाम लगी. 2005-10 के पहले ही कार्यकाल में तकरीबन 50 हजार अपराधियों को सजा मिली. यह वो प्रक्रिया थी, जो लालू यादव के जंगलराज वाले काल में एकदम से रुकी हुई थी. तब सत्ता के साथ के कारण अपराधियों की मौज थी और आज सत्ता की कड़ाई के कारण उनमें खौफ है.