पटना, 18 अगस्त। हिन्दी-दिवस के उपलक्ष्य में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आगामी 1 सितम्बर से 15 सितम्बर तक ‘हिन्दी-पखवारा-सह- पुस्तक चौदस मेला’ का आयोजन किया जाएगा। पखवारा के प्रत्येक दिन सम्मेलन सभागार में विविध साहित्यिक आयोजन संपन्न होंगे तथा विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। 14सितम्बर को 14 हिन्दी-सेवियों का सम्मान तथा 15 सितम्बर को, समापन-समारोह में प्रतियोगिताओं के सफल विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने बताया है कि, समारोह का उद्घाटन १ सितम्बर को अपराहन तीन बजे किया जाएगा। इसी दिन डा कामिल बुल्के तथा राष्ट्र-भाषा प्रहरी नृपेंद्रनाथ गुप्त की जयंती भी मनायी जाएगी तथा पुस्तकों के लोकार्पण होंगे। 2 सितम्बर को विद्यार्थियों के लिए ‘श्रुतिलेख-प्रतियोगिता’, 3 सितम्बर को विद्यार्थियों की व्याख्यान-प्रतियोगिता, 4 सितम्बर को डा विष्णु किशोर झा बेचन की जयंती एवं कवि-सम्मेलन, 5 सितम्बर को ‘हमारे शिक्षक’ विषय पर विद्यार्थियों द्वारा निबन्ध-लेखन प्रतियोगिता, 6 सितम्बर को ‘कथा-कार्यशाला’ , 7 सितम्बर को काव्य-कार्यशाला, 8 सितम्बर को कवयित्री-सम्मेलन, 9 सितम्बर को भारतेंदु जयंती एवं ‘नाट्य-साहित्य में बिहार का योगदान’ विषय पर संगोष्ठी, 10 सितम्बर को राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह जयंती एवं लघु-कथा गोष्ठी, 11 सितम्बर को केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ जयंती एवं कवि-सम्मेलन, 12 सितम्बर को विद्यार्थियों के लिए काव्य-पाठ प्रतियोगिता, 13 सितम्बर को विद्यार्थियों के लिए कथा-लेखन प्रतियोगिता, 14 सितम्बर को, हिन्दी-दिवस समारोह एवं हिन्दी-सेवी सम्मान तथा 15 सितम्बर को समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित होगा। 15 दिनों के पुस्तक चौदस मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट तथा राज कमल प्रकाशन समेत कई प्रकाशक भाग ले रहे हैं। प्रत्येक हिन्दी-प्रेमी से आग्रह किया गया है कि, ‘धन-त्रयोदशी’ की भावना के साथ, जिसमें कुछ न कुछ धन का क्रय इस विचार से किया जाता है कि, इससे घर में ‘श्री’ की वृधि हो, पुस्तकों का क्रय अवश्य करें, इस भावना के साथ कि, इससे घर में ‘प्रज्ञा-श्री’ की वृधि होगी।डा सुलभ ने बताया है कि सम्मेलन के शताब्दी-समारोह के लिए भारत की राष्ट्रपति महोदया की स्वीकृति की प्रतीक्षा की जा रही है। उनकी स्वीकृति प्राप्त होते ही समारोह की तिथि घोषित कर दी जाएगी। इस समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाएगा, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के हिन्दी-सेवी विदुषियों और विद्वानों की भी प्रतिभागिता होगी। विश्व में हिन्दी का उन्नयन कर रहे 21 हिन्दी-सेवियों को साहित्य सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय शताब्दी-सम्मान से अलंकृत किया जाएगा।